डायलसिस सेंटर में मिले रफीक और राहुल, अब मां-पत्नी ने किडनी देकर बचाई दोनों की जान
Kidney Transplant: मुंबई में दो परिवारों ने धर्म से ऊपर उठकर एक दूसरे की मदद की. दोनों ही परिवार के डोनर के साथ बल्ड ग्रुप की समस्या थी.
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Mumbai Kidney Transplant: पिछले साल दिसंबर के महीने में मुंबई के एक अस्पताल में किडनी के दो मरीजों का ट्रांसप्लांट होना था, लेकिन उन्हें डोनर नहीं मिल रहे थे. ऐसे में धर्म की दीवार तोड़ते हुए दो परिवारों ने एक दूसरे को किडनी डोनेट करने का फैसला किया और आपसी सौहार्द की मिसाल कायम की.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के कल्याण में एक सिविल ठेकेदार के साथ काम करने वाले रफीक शाह की दो साल पहले किडनी फेल हो गई था. इसका पता चलने पर उनकी पत्नी खुशनुमा डोनर बनना चाहती थीं और रफीक को अपनी किडनी दान करना चाहती थीं, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप अलग था. जहां रफीक का ब्लड ग्रुप B+ था तो वहीं उनकी पत्नी का A+ था.
दूसरे मरीज का नाम राहुल यादव है, जो घाटकोपर के आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं. राहुल यादव की मां भी अपनी किडनी डोनेट करना चाहती थीं, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप B+ था और राहुल यादव का A+ था. राहुल यादव को पहली बार किडनी की समस्या तब हुई जब वह सात साल का था.
राहुल यादव के पिता घाटकोपर के एक ऑटो ड्राइवर हैं. उन्होंने कहा कि किडनी की समस्या के कारण उनके बेटे का पेट फूल जाता था. तीन साल पहले तक उसका इलाज चल रहा था, लेकिन फिर उन्हें डायलसिस शुरू करनी पड़ी.
डायलसिस सेंटर में हुई दोनों मरीजों की मुलाकात
दोनों मरीजों की मुलाकात केईएम अस्पताल के डायलसिस सेंटर में हुई थी. दोनों मरीजों ने एक-दूसरे को अपनी समस्याएं बताई. अस्पताल के डॉक्टर के अनुसार उनके पास मरीज और डोनर का रिकॉर्ड रखा जाता है. ऐसे में वहां के डॉक्टर ने दोनों परिवार को बताया कि उनके मरीज की किडनी बदली जा सकती है.
किडनी डोनेट पर राजी हुए दोनों परिवार
केईएम के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. तुकाराम जमाले ने कहा कि दोनों मरीजों का ट्रांसप्लांट करने के लिए उनके परिवारों के बीच सहमति होनी जरूरी थी. उन्होंने कहा कि हमने दोनों परिवार से बात करके उन्हें किडनी डोनेट करने के लिए राजी किया.
हिंदू और मुस्लिम के बीच देश का पहला स्वैप ट्रांसप्लांट साल 2006 में मुंबई में किया गया था. उसके बाद से जयपुर, चंडीगढ़ और बेंगलुरु में भी ऐसे मामले देखने को मिले जहां दोनों धर्मों के लोगों ने एक दूसरे की मदद की.
रफीक की बेटी ने क्या कहा?
रफीक शाह की बेटी ने कहा कि उनके पिता दो साल पहले बीमार हो गए थे. उन्होंने खुशी जताई कि उनका ट्रांसप्लांट हो गया. हालांकि, डॉक्टर्स ने कहा कि वजन संबंधी समस्याओं के कारण रफीक की रिकवरी सुचारू नहीं है. उन्हें कुछ दिन और अस्पताल में ही रहना होगा. दूसरे मरीज राहुल यादव को बुधवार (10 जनवरी) को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
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