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राज्य सरकारें देखें कि कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा बिना रुकावट जारी रहे, बाकी ज़रूरतों का भी रखें ख्याल: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि अभी इस सहायता को बच्चों तक पहुंचाने की प्रक्रिया तय की जा रही है. इसके लिए राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है. ऐसे में कोर्ट ने केंद्र को विस्तृत जानकारी देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया.

नई दिल्ली: कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की सहायता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस तरह के बच्चों को भोजन, दवा, कपड़े आदि की कमी न हो. उनकी शिक्षा भी बिना किसी बाधा के चलती रहे. साथ ही, कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी इस बात की विस्तृत जानकारी देने के लिए कहा है कि प्रधानमंत्री की तरफ से घोषित सहायता बच्चों तक किस तरह से पहुंचाई जाएगी.

इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के वेब पोर्टल ‘बाल स्वराज’ में उन बच्चों की जानकारी अपडेट करने को कहा था, जिन्होंने पिछले साल मार्च से लेकर अब तक कोरोना के चलते अपने माता पिता या दोनों में से एक को खोया है. 5 जून तक वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के हिसाब से इस तरह के 30,071 बच्चों की जानकारी सामने आई है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा था कि वह पीएम केयर्स फंड की तरफ से बच्चों की सहायता के लिए जो घोषणा की गई है, उसका विस्तृत विवरण दें. जवाब में केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि अभी इस सहायता को बच्चों तक पहुंचाने की प्रक्रिया तय की जा रही है. इसके लिए राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है. ऐसे में कोर्ट ने केंद्र को विस्तृत जानकारी देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया. लेकिन जरूरतमंद बच्चे सहायता से वंचित न हो सकें, इसके लिए राज्य सरकारों को कई निर्देश जारी किए हैं. जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा है कि :-

(i) राज्य सरकारें अनाथ बच्चों की पहचान करना जारी रखें. इस काम में स्वास्थ्य विभाग, चाइल्ड हेल्पलाइन और पंचायती राज कर्मचारियों की भी मदद ली जाए.

(ii) किसी बच्चे के माता पिता या दोनों में से एक की मृत्यु की जानकारी मिलने पर डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट (DCPU) के लोग बच्चे और उसके अभिभावक से मिलने जाएं. वह इस बात को देखें कि क्या अभिभावक वाकई बच्चे को अपने साथ रखने का इच्छुक है. बच्चे को सरकारी योजना के मुताबिक आर्थिक सहायता देने के साथ ही उसके भोजन, दवा, कपड़े जैसी जरूरतों को भी पूरा किया जाए.

(iii) डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर (DCPO) अपना और दूसरे संबंधित अधिकारियों का फोन नंबर बच्चे और उसके अभिभावक को उपलब्ध करवाएं. उनसे यह कहा जाए कि किसी भी जरूरत की स्थिति में इन अधिकारियों से बात की जा सकती है. यह सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित अधिकारी कम से कम महीने में एक बार बच्चे का हाल-चाल लें.

(iv) अगर DCPO को किसी वजह से यह लगता है कि अभिभावक बच्चे की देखभाल के लिए सही नहीं है तो वह तुरंत चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) को इसकी सूचना दे. चाइल्ड वेलफेयर कमिटी जल्द से जल्द मामले की जांच कर उचित निर्णय ले.

(v) जांच के दौरान चाइल्ड वेलफेयर कमिटी बच्चे की सभी ज़रूरतों को पूरा करे. साथ ही यह भी देखे कि बच्चे को सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहे.

(vi) यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आए. वह सरकारी या प्राइवेट स्कूल जहां भी पढ़ रहा हो, राज्य सरकार उसकी शिक्षा जारी रखने के लिए ज़रूरी व्यवस्था करे.

(vii) जो एनजीओ या दूसरी संस्थाएं अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने-देने की प्रक्रिया में शामिल हों, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.

(viii) राज्य सरकार ज्युवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अलावा बच्चों के लिए उपलब्ध दूसरी सरकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार करें, ताकि लोग उसके लाभ से परिचित हो सकें.

(ix) गांव में कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की पहचान और उन तक मदद पहुंचाने के लिए पंचायती राज से जुड़ी संस्थाओं की मदद ली जाए.

कोर्ट ने 27 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय की है.a

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