नई दिल्ली: इराक में आतंकी संगठन ISIS के कब्जे में रहे 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को इसकी आधिकारिक पुष्टि कर दी. विदेश मंत्री के इस बयान के बाद से ही उन 39 भारतीयों के परिवार वाले जिस पीड़ा को महसूस कर रहे हैं, शायद उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. परिवार वालों का आरोप है कि सरकार ने हमें इतने सालों तक हमें अंधेरे में रखा. आज हम आपको ISIS के हाथो मारे गए 39 भारतीयों के दर्द की कहानी एक-एक कर के बता रहे हैं.


दर्द की कहानी


इन्ही 39 भारतीयों में से एक 32 साल के सोनू थे. उनके परिवार में पत्नी सीमा, दो बेटे करन अर्जुन और माता पिता हैं. बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए सोनू इराक गए थे. परिवारवालों ने कभी सोचा नहीं था कि फिर कभी वो वापस लौट कर नहीं आएंगे.



15 जून 2014 को आखिरी बार उनसे बात हुई थी. तब सोनू से बताया था कि उन्हें बंधक बना लिया गया है. उसके बाद कोई बात नहीं हुई. पत्नी सीमा ही तब से घर चला रही हैं. भाई हीरा लाल की मांग है कि सरकार बच्चों के लिए कुछ करे और पत्नी को नौकरी दे.


पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला हरजीत मसीह इराक से बचकर भाग आया था. हरजीत ने दावा किया था कि उसी के सामने 39 भारतीय लोगों का कत्ल कर दिया गया था. हालांकि सरकार हरजीत के दावे को नहीं मानती है, लेकिन हरजीत अपनी बात पर कायम है.


कपूरथला के मुरार गांव में रहने वाला गोबिंदर सिंह का परिवार इस बात से नाराज है कि सरकार ने सिर्फ भारतीयों की मौत की पुष्टि कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. परिवार का कहना है कि जब तक सरकार मदद का एलान नहीं करती तब तक वो गोबिंदर का शव लेने नहीं जाएंगे.


कांग्रेस की मांग


कांग्रेस ने इराक में बंधक बनाये गये 39 भारतीयों की मौत को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर मामले को संवेदनशील ढंग से नहीं निपटाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने मांग की कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए. साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि प्रत्येक मृतक के निकट परिजन को सरकार की ओर से दो करोड़ रुपये दिये जाएं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इन भारतीयों की मौत पर स्तब्धता जताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है.