हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में भूस्खलन से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. शनिवार को मलबे से 6 और शव बरामद होने के बाद मृतकों का आंकडा 23 हो गया है. ये जानकारी ITBP ने दी है. खोज और बचाव अभियान अभी भी जारी है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, सेना और पुलिस की टीमें राहत-बचाव ऑपरेशन में शामिल हैं.


कई यात्री अभी भी लापता हैं


वहीं दुर्घटना का शिकार हुई एचआरटीसी बस के कई यात्री अभी भी लापता है. वहीं मौके पर पत्थरों के गिरने का सिलसिला थमा नहीं है. शुक्रवार को पत्थर गिरने से एचआरटीसी की एक बस में सवार दो यात्री घायल हो गए थे. भूस्खलन के मलबे में दबे लोगों के परिजन अभी भी घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं.



इंजीनियरों की टीम पहाड़ी का सर्वे करेगी


वहीं बता दें कि पत्थरों की शूटिंग को रोकने के उपाय सुझाने के लिए इंजीनियरों की एक टीम पहाड़ी की चोटी का सर्वे करेगी, जिससे बचाव कार्य प्रभावित हो सकता है. गौरतलब है कि बारिश से संबंधित घटनाओं में अब तक 253 लोगों की जानें जा चुकी हैं.


गौरतलब है कि राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में अब तक 253 लोगों की जान चली गई है और सबसे ज्यादा मौतें शिमला (38), इसके बाद किन्नौर (30) और कांगड़ा और सिरमौर (26 प्रत्येक) में हुई हैं. भूस्खलन और अचानक बाढ़ आने से 37 लोगों की जान चली गई थी वहीं बादल फटने से 10 लोगों की जान चली गई थी. 13 जून को 25 लोग डूब गए थे जबकि 120 लोग दुर्घटनाओं में मारे गए थे. 25 जुलाई को किन्नौर जिले में बटसेरी के पास हुए कई भूस्खलनों में नौ लोगों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे. इसी तरह 27 जुलाई को लाहौल-स्पीति जिले में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई थी, दो अन्य घायल हो गए थे और दो लापता हो गए थे.


ये भी पढ़ें


Independence Day: 9 एंटी ड्रोन, 300 CCTV, 5000 जवान, 15 अगस्त को लाल किला पर ऐसी होगी सुरक्षा व्यवस्था


पीएम मोदी का बड़ा एलान- 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाएगा देश