Fast Track Courts: फास्ट ट्रैक कोर्ट के काम से किरेन रिजिजू नाखुश, कहा- राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर काम करने की जरूरत
Fast Track Court: फास्ट ट्रैक कोर्ट्स के काम करने के तरीके को लेकर एक बार फिर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने राज्य और केंद्र को साथ काम करने की भी सलाह दी.
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Kiren Rijiju On Fast Track Court: देश की अदालतों में लंबित पड़े करोड़ों मामलों को लेकर कानून मंत्री किरेन रिजिजू (kiran Rijiju) ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि वह कुछ राज्यों में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं. इसके साथ ही उन्होंने कुछ राज्यों के मुख्मंत्रियों और हाई कोर्ट से इस पर ज्यादा काम करने के लिए कहा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक कार्यक्रम के दौरान रिजिजू ने इस बात का जिक्र किया.
किरेन रिजिजू ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स योजना के बारे में बात करते हुए कहा कि केंद्र ने 2019 में 1,023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSCs) की स्थापना की थी. इसमें बलात्कार और POCSO अधिनियम से संबंधित मामलों के त्वरित परीक्षण और निपटान के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 389 पॉक्सो कोर्ट शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वह फास्ट ट्रैक कोर्ट के काम से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं और वह इसे बेहतर करने के लिए समय निकालेंगे.
'कई राज्यों के प्रदर्शन से खुश नहीं केंद्र'
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं न्यायपालिका और सरकार एक साथ मिलकर काम करें. हमें अपने प्रयासों के स्तर को ऊपर उठाना होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र कई राज्य सरकारों के प्रदर्शन से खुश नहीं है. यहां चीफ जस्टिस और कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बहुत कुछ करने की जरूरत है. हालांकि, उन्होंने किसी एक का नाम नहीं लिया.
'राज्य-केंद्र को मिलकर काम करना होगा'
रिजिजू ने कहा कि भारत को महिलाओं और बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रगतिशील समाज सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका और सरकार को साथ लाने की जरूरत है. आपराधिक कानूनों और विशेष रूप से आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2018 को सभी स्तरों पर लागू करना भी काफी जरूरी है. कानूनों के बेहतर तरह से चलाने के लिए राज्य सरकारों और केंद्र टीम की तरह काम करना होगा.
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