चुनाव सुधारों पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू का अहम बयान, 'सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श जरूरी'
दिल्ली में आयोजित 13वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि चुनाव सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श आवश्यक है.
13th National Voters Day : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार (25 जनवरी) को कहा कि चुनाव सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श आवश्यक है. निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव सुधारों पर पेश किए गए विभिन्न प्रस्तावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श और चर्चा जीवंत लोकतंत्र के प्रतीक हैं.
उन्होंने कहा कि एक साल पहले चुनाव कानूनों में किए गए बदलावों के परिणामस्वरूप मतदाता सूची में 1.5 करोड़ से अधिक नए मतदाता जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में पंजीकरण की एक की बजाय चार तारीख तय किए जाने ने युवा पात्र नागरिकों को 18 साल की उम्र के बाद मतदाता के रूप में सम्मिलित करने में मदद की है.
केंद्रीय मंत्री ने 17 साल से अधिक उम्र के युवाओं को पहले ही पंजीकरण कराने की अनुमति देने के निर्वाचन आयोग के कदम की भी सराहना की. इस प्रकार के युवा एक बार जब 18 वर्ष के हो जाते हैं, तो उनके नाम मतदाता सूची में जोड़े जाते हैं.
गुमनाम नायकों को याद किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, साथी चुनाव आयुक्तों और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यहां 13वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिजिजू ने निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने में भूमिका निभाने वाले गुमनाम नायकों को याद किया, जिन्हें कोई पुरस्कार तो नहीं मिला लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उन्होंने बलिदान दिए. चुनाव सुधारों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह चुनाव आयोग के लगातार संपर्क में हैं और इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं.
निर्वाचन आयोग के विभिन्न प्रस्ताव सरकार के पास हैं
केंद्रीय कानून मंत्रालय में विधायी विभाग चुनाव कानूनों और संबंधित नियमों सहित चुनाव आयोग से संबंधित मुद्दों के लिए नोडल एजेंसी है. उन्होंने कहा कि चुनाव सुधारों से संबंधित निर्वाचन आयोग के विभिन्न प्रस्ताव सरकार के पास हैं. उन्होंने कहा कि परंपरा राजनीतिक दलों से परामर्श करने और इस तरह के सुधार प्रस्तावों के साथ आगे बढ़ने से पहले आम नागरिकों के विचारों को जानने की भी है. उन्होंने कहा, ‘‘विचार-विमर्श और चर्चा के बाद ही आगे बढ़ना जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है.’
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