Union Law Minister Kiren Rijiju: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार (22 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर मुखरता से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जब कॉलेजियम सिस्टम रहेगा, उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति पर विवाद होता रहेगा. इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू में किरेन रिजिजू ने 'अंकल जज सिंड्रोम' की चर्चा की और इसे कॉलेजियम सिस्टम से जोड़ते हुए अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि जब से कॉलेजियम सिस्टम बना है, हाईकोर्ट के तीन वरिष्ठ जज तय करते हैं कि शीर्ष अदालतों में अगले जज कौन बनेंगे. वे उनके नाम भेजते हैं. सुप्रीम कोर्ट में जजों के लिए पांच वरिष्ठ जस्टिस नाम तय करते हैं. वे केवल अपने ज्ञान या क्षेत्राधिकार के अंदर नाम तय करते हैं. कॉलेजियम ने ऐसी स्थिति बना दी है, जहां जज केवल उन्हीं का नाम लेते हैं, जिन्हें वे जानते हैं.
'जिन्हें नहीं जानते उनका का क्या?'
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सोच इस मामले में ज्यादा स्पष्ट है क्योंकि हम न्यायतंत्र से नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम में वे उन्हीं जजों की चर्चा करते हैं, जिन्हें वे जानते हैं. जिन जजों को वे नहीं जानते हैं, उनके नाम की सिफारिश नहीं होती है.
क्या होता है अंकल जज सिंड्रोम?
किरेन रिजिजू ने 'अंकल जज सिंड्रोम' के बारे में बात करते हुए कहा कि इसका मतलब है कि अगर आप किसी को जानते हैं जो जज बन गया है तो आपका रास्ता साफ हो गया है. वहीं, अगर आप अच्छे वकील हैं, लेकिन किसी प्रभावशाली जज को नहीं जानते हैं तो आपके नाम की सिफारिश नहीं होगी.
'90 फीसदी जज पसंद करते हैं हमारा काम...'
उन्होंने कुछ रिटायर्ड जजों की सरकार-विरोधी टिप्पणियों पर भी खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि 90 फीसदी जज हमारे (केंद्र सरकार) काम को पसंद करते हैं. वे कहते हैं कि वे हमारे काम से खुश हैं. बचे हुए 10 फीसदी लोग बीजेपी-विरोधी हैं. उनकी सोच बीजेपी-विरोधी है. सोचिए, एक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस हमारे प्रधानमंत्री और सरकार पर हमला बोलते हैं.
उन्होंने कहा कि रिटायर होने के बाद भी जज को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए. शायद अनजाने में कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश सरकार विरोधी मंचों की ओर से प्रायोजित कुछ कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. अपने राजनीतिक सफर के बारे में बात करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मेरे पास एलएलबी की डिग्री है, लेकिन मैंने कभी प्रैक्टिस नहीं की. मैंने कानून मंत्री बनने के बाद कोर्टरूम देखा था.
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