Uniform Civil Code: देश में कब लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड? कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिया जवाब
Uniform Civil Code: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारियों पर जवाब दिया है. उन्होंने समलैंगिक विवाह पर भी सरकार का पक्ष रखा.
Kiren Rijiju On Uniform Civil Code: केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात का संकेत दिया है. रिजिजू ने अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में साफ कहा गया है कि सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में काम करना चाहिए. हमारी सरकार इसके लिए जरूरी हर कदम उठाएगी.
आज तक से बात करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में साफ है कि स्टेट को समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करना चाहिए. उसके तहत जो करना है, वो हम करेंगे. करोड़ों लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भरोसा करके पूर्ण बहुमत दिया है. तो जो देश के लिए सही है वो तो हम करेंगे.
नहीं बताई तारीख
तारीख को लेकर उन्होंने कहा कि अभी मैं इसकी घोषणा नहीं कर सकता, लेकिन सभी को मालूम है कि हमारी सरकार की मंशा क्या है और देश के लोग क्या चाहते हैं. ऐसे में जो भी करने की जरूरत है, सही समय पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर एक सहमति की जरूरत है.
समलैंगिक विवाह पर भी बोले रिजिजू
समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति दर्ज की है. इसे लेकर किरेन रिजिजू ने कहा कि हमें लोगों के समलैंगिक रिश्ते में होने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन जब बात विवाह की आती है तो सिर्फ कुछ लोग इसका फैसला नहीं कर सकते.
रिजिजू ने कहा एक नागरिक को अपना जीवन जीने की आजादी संविधान में दी गई है, इसलिए दो लोग आपस में कैसे रहते हैं, इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है. सेम सेक्स के लिव इन रिलेशनशिप को भी गैर अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया है. अब आप जहां रहना चाहते हैं, जैसे रहना चाहते हैं, रह सकते हैं. उसमें हमारी आपत्ति नहीं है, लेकिन जब शादी की बात आती है, तो यह एक संस्था है. भारत एक प्राचीन देश है. इसकी अपनी एक परंपरा है. मान्यता है. कई धर्मों का मिलन है. अगर उस सिस्टम का कुछ लोग बैठकर निर्णय करते हैं तो ये हो नहीं सकता है.
उन्होंने कहा कि परंपराओं में बदलाव पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए. इस पर चर्चा होनी चाहिए कि ऐसे मुद्दों पर फैसला कुछ लोग करेंगे या संसद में चुने हुए प्रतिनिधि करेंगे.
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