नई दिल्ली: हजारों किसान कर्जमाफी और फसलों के उचित दामों की मांगों को लेकर एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच चुके हैं. फिलहाल, किसान राजधानी के अलग-अलग इलाकों में रुके हैं और वे आज रामलीला मैदान तक मार्च करेंगे. सभी कल संसद मार्ग पर मार्च करेंगे. किसानों को लगभग 200 किसान संगठनों और 21 छोटे बड़े राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने संसद मार्च बुलाया है.


समिति के संयोजक हन्नान मोल्लाह ने बुधवार को बताया कि गुरुवार को रामलीला मैदान में एकत्र होने के लिये किसानों के समूह लगातार दिल्ली पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेघालय, जम्मू कश्मीर, गुजरात और केरल सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसानों के समूह सड़क और रेल मार्ग से दिल्ली और आसपास के इलाकों में एकत्र हो रहे हैं. मोल्लाह ने इसे अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन होने का दावा करते हुये कहा कि गुरुवार को रामलीला मैदान में किसान सभा के आयोजन के बाद शुक्रवार को किसानों का हुजूम रामलीला मैदान से संसद मार्च करेगा.





योगेंद्र यादव की संस्था स्वराज इंडिया ने ट्वीट कर कहा कि देशभर के किसान ऐतिहासिक किसान मुक्ति मार्च के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं. आज किसान चारों दिशाओं से पैदल मार्च करते हुए रामलीला मैदान तक पहुंचेंगे. किसानों का एक जत्था आज ब्रिजवासन से योगेंद्र यादव के नेतृत्व में सुबह 9 बजे धौला कुआं और CP होते हुए शाम 8 बजे रामलीला मैदान पहुंचेगा. वरिष्ठ वकील और स्वराज इंडिया के सदस्य प्रशांत भूषण ने दावा किया कि करीब एक लाख 'किसान मुक्ति मार्च' में शामिल होंगे.





नीतीश भी कर सकते हैं शिरकत


अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव अतुल कुमार अंजान ने बताया कि शुक्रवार को संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में आंदोलन का समर्थन कर रहे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शिरकत करेंगे. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के भी शामिल होने की संभावना है.


किसानों की प्रमुख मांगें
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संगठन कृषि क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा के लिये संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. इसके तहत हाल ही में किसान संगठनों द्वारा तैयार किये गये दो विधेयकों के प्रारूप को कानून के रूप में पारित कराना है. इनमें पहला विधेयक किसानों की कर्ज से मुक्ति से संबंधित है और दूसरा कृषि उत्पादों का किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराने का अधिकार सुनिश्चित करने से संबंधित है. इन विधेयकों को कानून का दर्जा देने पर ही किसानों को कृषि ऋण से निजात दिलाया जा सकेगा.


आपको बता दें कि इसी साल अक्टूबर में भी हजारों किसान दिल्ली पहुंचे थे. हालांकि उन्हें दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर गाजीपुर में रोकने की कोशिश हुई थी. इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे. विपक्षी दलों ने बीजेपी को किसान विरोधी करार दिया था.