नई दिल्लीः केके वेणुगोपाल को सोमवार को दोबारा एक वर्ष के लिए भारत का अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया. उनका वर्तमान का तीन वर्षीय कार्यकाल मंगलवार को समाप्त होना है.
एक अधिसूचना के मुताबिक बताया गया है कि 'राष्ट्रपति को वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल को एक जुलाई से एक वर्ष की अवधि के लिए पुन: भारत का अटॉर्नी जनरल नियुक्त करते हुए प्रसन्नता हो रही है. देश के जाने-माने अधिवक्ता वेणुगोपाल ने बतौर अटॉर्नी जनरल 30 जून 2017 को मुकुल रोहतगी का स्थान लिया था.
कैसे होती है अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति और पदावधि
भारत देश के संविधान, अटॉर्नी जनरल को निश्चित पदअवधि प्रदान नहीं करता है. अटॉर्नी जनरल एकमात्र राष्ट्रपति की मर्ज़ी के अनुसार ही कार्यरत रहता है. अटॉर्नी जनरल को किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है. उसे हटाने के लिए संविधान में कोई भी प्रक्रिया या आधार उल्लेखित नहीं है.
अटॉर्नी जनरल के कर्तव्य और कार्य
(1) कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना, जो राष्ट्रपति द्वारा उसे भेजे या आवंटित किए जाते हैं.
(2) राष्ट्रपति द्वारा भेजे या आवंटित किए गए कानूनी चरित्र के अन्य कर्तव्यों का प्रदर्शन करता है.
(3) संविधान के द्वारा या किसी अन्य कानून के तहत उस पर सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करता है.
अटॉर्नी जनरल के कर्तव्य
(1) भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है, जो सुप्रीम कोर्ट में सभी मामलों में भारत सरकार का पक्ष रखता है.
(2) जहां भी भारत की सरकार को किसी क़ानूनी सलाह की जरुरत होती है, वह अपनी राय से सरकार को अवगत कराता है.
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