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कौन है 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाने वाली अमूल्य, जानें उसके बारे में ये बातें
अमूल्य का नारे लगाने का अंदाज़ लोगों को बहुत पसंद आता है इसलिए उसे हर इवेंट में बुलाया जाने लगा है. खास कर एंटी सीएए प्रोटेस्ट के बाद से इनका नाम ज्यादा चर्चा में आ चुका है.
बेंगलुरुः कल बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में एक महिला ने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया जिसके बाद महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह के अपराध) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने साफ कहा कि न तो मेरा और न ही मेरी पार्टी का इस महिला से कोई संबंध है. हम भारत के लिए हैं और हम किसी भी तरह दुश्मन देश का समर्थन नहीं करते. कार्यक्रम में पड़ोसी देश के लिए नारे लगाने वाली महिला का नाम अमूल्य है और इस मामले के बाद वो चर्चा में आ गई है. जानते हैं आखिर कौन हैं अमूल्य-
कौन है अमूल्य
अमूल्य का नारे लगाने का अंदाज़ लोगों को बहुत पसंद आता है इसलिए उसे हर इवेंट में बुलाया जाने लगा है. खास कर एंटी सीएए प्रोटेस्ट के बाद से इनका नाम ज्यादा चर्चा में आ चुका है. अमूल्य अपने नारों से माहौल बना देती है जो कि लोगों को बहुत पसंद भी आता है.
हालांकि ऑर्गनाइज़र कह रहे हैं कि यह हर जगह खुद ही पहुंच जाती है और हमने इन्हें नहीं बुलाया है. लेकिन पुलिस को जो लिस्ट दी गई थी जिसमें लिखा था कि कार्यक्रम में कौन कौन गेस्ट बात करेगा उसमें इनका भी नाम था. अब कहा जा रहा है कि ऑर्गनाइज़र इमरान पाशा जो कि जेडीएस का कॉरपोरेटर है, हो सकता है इंडिविजुअल तौर पर उसको ना पता हो लेकिन उसकी जो टीम है उसने अमूल्य को इन्वाइट किया था.
अमूल्य के पिता रहे हैं एक्टिविस्ट
1980 में कर्नाटक के वेस्टर्न घाट में एक मूवमेंट चला था, जंगलों को बचाने के लिए एक आंदोलन चला था नाम था IPKO. उस आंदोलन को इसके पिता ने लीड किया था जो कि एक एक्टिविस्ट थे. बाद में उस आंदोलन को नक्सलियों ने अपने कब्जे में ले लिया वो तो उसके बाद उस आंदोलन से बाहर निकल गए और जेडीएस ज्वाइन कर ली. लेकिन उस वक़्त जो नेटवर्क बना था वो कायम रहा था. नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले जितने भी लोग हैं अमूल्य उनसे हमेशा इन्फ्लुएंस में रहती थी.
गौरी लंकेश, प्रोफेसर सीतारमण का इनके घर पर आना जाना था. कई नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले जितने भी लोग हैं अमूल्य उनसे प्रेरित है और पूरी तरह वामपंथी हैं.
अमूल्य का 16 फ़रवरी का एक फेसबुक पोस्ट लिखा है जिसमें लिखा है हिंदुस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद, अमेरिका जिंदाबाद, सिंगापुर जिंदाबाद, दुबई जिंदाबाद, बांग्लादेश जिंदाबाद, श्रीलंका जिंदाबाद. सारे देशों के नाम लिख उसने कहा कि सारे देशों के नारे लगाने ठीक है लेकिन देशों के जिंदाबाद के नारे लगाने से कुछ नहीं होगा जब तक वहां के नागरिकों को आजादी नहीं मिलती. जब तक उनको अधिकार नहीं दिलवाएंगे तब तक नारों के कोई मतलब नहीं. मेरे हिसाब से हिंदुस्तान भी जिंदाबाद रहे और पाकिस्तान भी. बांग्लादेश भी जिंदाबाद रहे सब जिंदाबाद रहे. लेकिन अधिकार के लिए लड़ना चाहिए.
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तहसीन मुनव्वरवरिष्ठ पत्रकार
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