Assam Dibrugarh Jail: असम की 166 साल पुरानी डिब्रूगढ़ जेल के एक वार्ड में इस समय 9 कैदी बंद हैं, जो कई मायनों में खास हैं. ये सभी जेल में एकमात्र ऐसे कैदी हैं जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत रखा गया है. साथ ही ये जेल में रखे गए इकलौते सिख कैदी हैं. इन्हें दूसरे कैदियों से बात करने की इजाजत नहीं है. इन सभी को यहां से लगभग 3000 किमी दूर अमृतसर से लाया गया है.


ये सभी खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता और वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह के सहयोगी और सहायक हैं, जिन्हें 18 मार्च को शुरु हुई पंजाब पुलिस की कार्रवाई के बाद से गिरफ्तार किया गया है. इनका सरगना अमृतपाल अभी तक फरार चल रहा है.


क्यों भेजा गया असम की जेल में ?


मामले से जुड़े लोगों के अनुसार, पंजाब सरकार ने शुरू में इन सभी को तिहाड़ जेल में भेजने के बारे में सोचा था, लेकिन दिल्ली की जेल में कई पंजाबी गैंगस्टर बंद हैं. यही नहीं, कुछ अलगाववादी भी तिहाड़ में हैं. ऐसे में इनके बीच आपस में संपर्क हो सकता था, इसलिए सभी को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजने का फैला किया गया.


ऐसा ही कदम 2021 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भी उठाया था, जब जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार लोगों को आगरा की एक जेल में भेजा गया था. गंभीर अपराधियों को अपने प्रदेश में रखने से कई बार दूसरे कैदियों और यहां तक कि कभी-कभी जेल अधिकारियों से भी मदद मिलने की आशंका बनी रहती है.


1857 में बनी जेल 


डिब्रूगढ़ जेल को 1857 में देश की आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले भारतीयों को रखने के लिए बनाया गया है. पूर्वोत्तर में कंक्रीट से बनी ये पहली जेल है. हालांकि, आजादी के बाद इसमें देश के खिलाफ काम करने वाले कई कुख्यात कैदियों को रखा गया है. इसमें उल्फा के उग्रवादियों से लेकर अब खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों को रखा जाना शामिल है.


इन सभी कैदियों को जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है. जेल अधिकारियों का कहना है कि अगर अमृतपाल सिंह पकड़ा जाता है और उसे डिब्रूगढ़ लाया गया तो सुरक्षा की फिर से समीक्षा होगी और इसे बढ़ाया जाएगा. 18 मार्च को कार्रवाई के बाद से ही अमृतपाल फरार चल रहा है और पंजाब पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल है.


एक महीने पहले तक डिब्रूगढ़ असम की 6 केंद्रीय जेलों में से बस एक जेल थी, लेकिन एक महीने में यह सबसे हाई सिक्योरिटी जेल में तब्दील हो गई है. एचटी ने एक जेल अधिकारी के हवाले से लिखा है, जेल में इस समय सीआरपीएफ के जवान चारों तरफ तैनात हैं. इसके साथ ही असम पुलिस के कमांडो भी हैं. 57 सीसीटीवी कैमरों से जेल के अंदर कैदियों और जेल गेट में पर मिलने आने वालों पर नजर रखी जा रही है. 


किससे मिलने की अनुमति


कैदियों को सप्ताह में दो बार अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति होती है, लेकिन जो एनएसए के तहत बंद होते हैं, उन्हें इसके लिए जिला अधिकारी से अनुमति लेनी होती है. इन कैदियों से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारियों ने मुलाकात की थी. हालांकि, इनके परिवार से कोई मिलने नहीं आया है.


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