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जानें- कौन हैं बदलूराम, जिन्हें समर्पित गाने पर अमेरिकी सिपाहियों ने जमकर किया डांस

इस युद्धभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के चार्टर के अनुरूप काउंटर-टेरेरिज्म और काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन्स के वॉर-गेम्स खेलना है जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और तालमेल हो.

वाशिंगटनः इनदिनों अमेरिका के वाशिंगटन में भारतीय‌ सेना के साथ चल रही मिलिट्री एक्सरसाइज, 'युद्धभ्यास' में अमेरिकी सैनिक असम रेजीमेंट के विश्वविख्यात गीत, 'बदलू राम का बदन' पर थिरकते हुए नजर आए. दरअसल, अमेरिकी सेना के साथ चल रहे युद्धभ्यास में भारत का नेतृत्व असम रेजीमेंट कर रही है, जिसका ये बेहद ही लोकप्रिय गीत है. वाशिंगटन के ज्वाइंट बेस लुईस मैककोर्ड में भारत और अमेरिकी सेनाओं के बीच 15वां साझा युद्धभ्यास जारी है.

5-18 सितंबर तक चलने वाली इस मिलिट्री एक्सरसाइज का नाम, 'युद्धभ्यास' ही है. इस युद्धभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के चार्टर के अनुरूप काउंटर-टेरेरिज्म और काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन्स के वॉर-गेम्स खेलना है जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और तालमेल हो.

इसी दौरान भारतीय‌ सेना की तरफ से असम रेजीमेंट के सैनिकों ने अपने पसंदीदा गीत 'बदलू राम का बदन जमीं के नीचे है, लेकिन उसका राशन हम को मिलता है' के बोल अपनी चिरपरिचित सीटी के साथ गुनगुनाया और थिरकने लगे. इस दौरान अमेरिकी सैनिकों ने साथ निभाया.

क्या है गाने के पीछे की कहानी

दरअसल, असम रेजीमेंट का सभी सैनिक इस गाने को गुनगुनाता है और उसपर एक खास‌ स्टाइल में डांस करता है‌. असम रेजीमेंट की पासिंग आऊट परेड हो या कोई और आयोजन वो तबतक पूरा नहीं होता जबतक कि बदलू राम का गाना ना बजा लिया जाए और उसपर सभी सैनिक ना थिरक लें.

इस बदलू राम के गाने के पीछे एक बेहद ही दिलचस्प कहानी है जो द्वितीय विश्वयुद्ध से चली आ रही है. दरअसल, द्वितीय‌ विश्वयुद्ध के दौरान असम रेजीमेंट ब्रिटिश सेना का हिस्सा थी और उत्तर-पूर्व के राज्यों में जापानी सेना के आक्रमण का मुकाबला कर रही थी.

उसी दौरान असम रेजीमेंट की एक यूनिट में काम करने वाले एक सैनिक बदलू राम वीरगति को प्राप्त हो गए. उनके साथियों ने बदलू राम के शव को जंग के मैदान में ही दफन कर दिया.

जब नहीं मिल पा रहा था यूनिट को राशन

लेकिन रेजीमेंट का क्वार्टर मास्टर हवलदार बदलू राम की मौत को अपने रजिस्टर पर चढ़ाना भूल गया. इससे हुआ ये कि जंग के मैदान में यूनिट को बदलू राम का राशन मिलता रहा. इस कारण यूनिट के पास रिजर्व में राशन हो गया.

कुछ समय बाद बदलू राम के यूनिट को जापानी सेना ने चारों तरफ से घेर लिया. कई दिनों तक असम रेजीमेंट और जापानी सैनिकों के बीच में घमासान युद्ध चलता रहा.

नतीजा ये हुआ कि यूनिट को राशन नहीं मिल पाया. लेकिन क्योंकि यूनिट के पास बदलू राम का 'रिजर्व राशन' था इसलिए वे उसी राशन पर ना केवल जिंदा रहे बल्कि जापानी सेना से लड़ते भी रहे. अन्यथा बिना राशन और भूखे पेट भारतीय‌ सैनिक जापानी सेना से लड़ नहीं पाते.

सैनिकों ने बताया कैसे रहे जिंदा

बाद में जब जापानी सेना के पांव उखड़ गए तो ब्रिटिश अधिकारियों ने असम रेजीमेंट की बहादुरी को सलाम किया और बिना रसद-राशन लड़ने के बारे में पूछा तो उन्होनें बदलू राम की मौत और उसके राशन पर जिंदा रहने की कहानी बताई.

उसी कहानी पर ये गीत लिखा गया, ''बदलू राम का बदन जमीं के नीचे है, लेकिन उसका राशन हम को मिलता है''.

इसी साल जनवरी के महीने में एबीपी न्यूज की टीम डोकलम के करीब नार्थ सिकिक्म पर चीनी सीमा पर गई थी, तो वहां दुनिया के सबसे उंचे बटालियन हेडक्वार्टर पर भी असम रेजीमेंट तैनात थी. तिब्बत पठार में पड़ने वाले इस इलाके में बंकर नाम की जगह है जहां पर 16 हजार फीट से भी ज्यादा उंचाई पर भारतीय सेना का बटालियन हेडक्वार्टर है. उंचाई और ठंडे इलाके में भी असम रेजीमेंट के सैनिकों ने एबीपी न्यूज की टीम के सामने (कैमरे पर) बदलू राम के बदन पर डांस किया था. असम रेजिमेंट के मार्चिंग सॉन्‍ग 'बदलूराम का बदन' गाने पर जमकर झूमे अमेरिकी सिपाही, देखें वीडियो
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