नई दिल्लीः महंगे इलाज के इस दौर में छोटी सी बीमारी भी एक बड़ी मुसीबत है. अगर आप परिवार से हैं और अचानक आपको किसी बड़े हॉस्पिटल में इलाज करवाना पड़ता है तब आपके लिए मुश्किल की स्थिति हो जाती है. ऐसे में हमें महसूस होता है हेल्थ इंश्योरेंस की. हेल्थ इंश्योरेंस के कई फायदे हैं. इस इंश्योरेंस के जरिए बिना पैसे के भी इलाज करवा सकते हैं.


हेल्थ इंश्योरेंस के फायदे


दिनों दिन बढ़ रही हेल्थ समस्याओं को देखते हुए इंश्योरेंस लेना बहुत जरूरी हो जाता है. इसके लिए नियमित समय पर प्रीमियम देना पड़ता है. इंश्योरेंस के जरिए आपात स्थिति में उपचार कराने के लिए आर्थिक मजबूरी का सामना नहीं करना पड़ता है.


बिना कैश उपचार की सुविधा


अगर आपका हेल्थ इंश्योरेंस है तो आपको इलाज के दौरान पैसों की चिंता की जरूरत नहीं है, क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियों का हॉस्पिटलों से टाई-अप होता है. जिस कारण आप बिना पैसे के भी उपचार करवा सकते हैं.


ट्रांसपोर्टेशन खर्च


इंश्योरेंस पॉलिसी में मरीज को हॉस्पिटल तक लाने में एंबुलेंस का जो खर्च आता है वह भी कार्ड के जरिए पे किया जाता है. जिस व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस है, अगर उसने पिछले वर्ष कोई क्लेम फाइल नहीं किया है तो उसे कुछ बोनस प्वाइंट भी मिलते हैं.


फ्री मेडिकल चेकअप


इंश्योरेंस पॉलिसीज में हेल्थ चेकअप का भी विकल्प होता है. हेल्थ इंश्योरेंस के लिए जो प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, उस पर इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80डी के तहत टैक्स में भी छूट मिलती है.


इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस के कई और भी कई फायदे हैं. जिसकी जानकारी कंपनियां अपने ग्राहकों को देती रहती है. इंश्योरेंस करवाने के पहले ग्राहकों को टर्म एंड कंडीशन अच्छे से पढ़ लेना चाहिए.


एक जरूरी बात


ये ध्यान रहे कि सारी बीमारियां हेल्थ इंश्योरेंस के अंदर कवर नहीं होती है बल्कि कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो कवर नहीं होती है. मौटे तौर पर मानसिक दिक्कतों, जेनेटिक बीमारियों और न्यूरो से जुड़ी बीमारियों को इससे बाहर रखा जाता है. हालांकि, अब ज्यादातर बीमारियां इसके दायरे में आती हैं. इसके लिए कंपनियां ज्यादा प्रीमियम पर भी पॉलिसी के अंदर काफी सुविधाएं और कवर के दायरे बढ़ा देती हैं.


विवाद की स्थिति में क्या करें?


बहुत बार ऐसा होता है कि आपने इंश्योरेंस कराया है और कंपनियों ने जो वादे किए उसे पूरा करना में आनाकानी करती दिखती हैं. ऐसे वक्त में भी घबराने और परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसकी निगरानी के लिए सरकार की तरफ से नियामक संस्था है जो ऐसे वक्त में आपकी मदद करेगा. आप अपने मामले की शिकायत IRDAI  (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ऑफ इंडिया) से कर सकते हैं.


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