क्या तेज बहादुर मानसिक रूप से बीमार है ? क्या तेज बहादुर झगड़ालू है ? क्या तेजबहादुर गरीब है और खाने की दिक्कत है ? क्या सामाजिक रूप से पिछड़ा है ? इन सारे सवालों के जवाब तलाशने के लिए एबीपी न्यूज तेज बहादुर के गांव पहुंचा.
तेज बहादुर के दादा ईश्वर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे
जवान तेजबहादुर का परिवार गांव राताकला में रहता है, जहां उनका पक्का पुश्तैनी मकान है, जिसमें उनका परिवार आज भी रहता है. पैतृक घर की हालत देखकर लगता है कि तेज बहादुर की परिवारिक आर्थिक हालत ठीक ठाक है. तेज बहादुर के दादा ईश्वर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. ईश्वर सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सिपाही थे. यानि परिवार रसूखदार है.
तेज बहादुर के परिवार के तीन सदस्य सुरक्षा सेवा में
तेज बहादुर के दादा देश की आजादी के लिए लड़े तो परिवार के तीन और सदस्य सुरक्षा सेवा में लगे हैं. सबसे बड़े भाई गुजरात पुलिस में हैं और उनका बेटा सेना में है. तेज बहादुर के एक और भाई बीएसएफ में इलेक्ट्रीशियन हैं.
घरवालों से भी शिकायतों का जिक्र कर चुके हैं तेज बहादुर
तेज बहादुर के दो और भाई हैं जो किसान हैं. पिछले महीने ही तेज बहादुर अपने गांव आए थे, तब उन्होंने परिवारवालों से वीआरएस यानी जल्द रिटायरमेंट लेने का की बात कही थी. उन्होंने इसके लिए बीएसएफ के भीतर के माहौल को वजह बताई थी, जहां न तो शिकायत सुनी जाती है औऱ न कमियां सुधारी जाती हैं. इसलिए झंझट से मुक्ति पाकर तेज बहादुर घर आकर खेती करना चाहते थे. बंटवारे के बाद तेजबहादुर के हिस्से दो एकड़ जमीन आई है. शायद यही वजह है कि परिवार ने आर्थिक वजहों से उसे वीआरएस लेने से मना किया था.
अधिकार की बात करते थे इसलिए कार्रवाई होती थी- परिवार
यानि तेजबहादुर घर में भी अपनी नौकरी की मुश्किलों का जिक्र करते थे और नौकरी में मुश्किल होते हालात से लंबे अर्से से परेशान थे. नौकरी में विरोध की आदत की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा. सर्विस के दौरान कुछ ऐसे आरोप भी लगे कि पुलिस जांच हुई और पुलिस वाले गांव के घर तक पहुंचे थे. जिसे घरवाले बेटे के खिलाफ साजिश मानते हैं.
पति की ड्यूटी की वजह से तेज बहादुर की पत्नी शर्मिला और बेटा रोहित रेवाड़ी में रहते हैं. शर्मिला निजी कंपनी में नौकरी करती हैं और बेटा 12वीं करके आईआईटी की तैयारी कर रहा है. शर्मिला के मुताबिक, उनके खिलाफ बार-बार अनुशासनहीनता की कार्रवाई इसलिए होती है, क्योंकि वो गलत के खिलाफ बोलते हैं.
20 साल से बीएसएफ में सेवा दे चुके हैं तेज बहादुर
20 साल की ड्यूटी में तेज बहादुर पश्चिम बंगाल, मणिपुर, असम, त्रिपुरा, में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. शर्मिला कहती हैं कि पहले तो उनका बेटा सेना में जाना चाहता था, लेकिन जो सब चल रहा है उसके बाद अब वो सेना में जाना नहीं चाहता.
अनुशासनहीनता और सीनियर पर बंदूक तानने के आरोप लग चुके हैं
पिछले बीस साल की सेवा में तेज बहादुर यादव को चार बार कड़ी सजा मिल चुकी है, जिसके तहत उन्हें क्वार्टर गार्ड में भी रखा जा चुका है. नशे में ड्यूटी करना, सीनियर का आदेश न मानना, बिना बताए ड्यूटी से गायब रहना और कमांडेंट पर बंदूक तानने तक का भी आरोप लगा था.
अनुशासनहीन तो करियर में 16 गोल्ड क्यों मिले- तेज बहादुर
एबीपी न्यूज से बात करते हुए तेज बहादुर मानते हैं कि उन्हें सजा मिल चुकी है, लेकिन वह ये भी दावा कर रहे हैं कि उन्हें 16 बार सम्मानित भी किया जा चुका है.
दागदार करियर और जवानों के हक के लिए आवाज उठाने वाले तेज बहादुर की जिंदगी के ये दो पहलू हैं. लेकिन उनके घरवालों और दोस्तों से बात कर इतना तो साफ लग रहा है कि वो न तो झगड़ालू हैं और न ही मानसिक रूप से कोई दिक्कत है. बावजूद इसके बीएसएफ ने खराब रवैये और अनुशासनहीनता की बात कही है.
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