नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दे दी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा है कि निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाया जाए, जिससे कि प्रदूषण को नियंत्रण में रखा जा सके. लेकिन चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, जिसको लेकर सवाल उठाए गए थे और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से उन सवालों पर विराम लगाया है.


सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जिसको सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत वाला वह प्रोजेक्ट है, जिसके तहत नई संसद भवन से लेकर सरकारी मंत्रालय तक बनाए जाने हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा संसद भवन की जगह त्रिभुज आकार का संसद भवन बनाया जाएगा. वहीं लुटियन दिल्ली की अलग-अलग इमारतों में बने सरकारी मंत्रालयों की जगह नई इमारतें बनाकर मंत्रालय वहीं शिफ्ट किए जाएंगे. यह निर्माण कार्य होगा राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच के रास्ते के दोनों तरफ यह वह रास्ता है जिसको राजपथ के नाम से जाना जाता है.


सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राजपथ के दोनों तरफ 10 नई इमारतें बनाई जानी हैं, जिसमें केंद्र सरकार के 51 मंत्रालय शिफ्ट किए जाएंगे. मौजूदा वक्त में ये मंत्रालय लुटियन जोन के अलग-अलग इलाकों में बनी इमारतों में से चल रहे हैं. सरकार की तरफ से लगातार दलील दी जाती रही है कि एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में जाने में गाड़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिसमें वक्त भी जाया होता है और ईंधन की खपत होती है.


इसी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नई संसद का भी निर्माण होना है. नई संसद का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को कर दिया है. मौजूदा संसद गोलाकार है, लेकिन नया संसद भवन त्रिभुजाकार आकृति में है. नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा. नया संसद भवन अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस मौजूदा संसद भवन की जगह लेगा.


नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था रहेगी. लोकसभा सदन में 888 सांसदों की क्षमता होगी, वहीं राज्यसभा सदन में 384 सांसद बैठ सकेंगे. यह व्यवस्था भविष्य में होने वाले डीलिमिटेशन को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. मौजूदा संसद में लोकसभा के 545 और राज्यसभा के 245 सांसद हैं.


नए संसद भवन बनाने का काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड कर रहा है. जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन बनाने पर करीब 862 करोड़ रुपये खर्च होंगे. वहीं बात की जाए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तो इस प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री का आवास जो अभी 7 लोक कल्याण मार्ग पर है, उसको भी सेंट्रल विस्टा के तहत नए साउथ ब्लॉक में बनने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय के नजदीक ही बनाया जाएगा. इसी तरह से उपराष्ट्रपति का आवास जो फिलहाल दिल्ली के मौलाना आजाद रोड पर बना हुआ है, उसको भी नए नार्थ ब्लॉक के पास बनाया जाएगा.


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