महंत नृत्य गोपाल दास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. सुप्रीम कोर्ट से रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों ने उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष मनोनीत किया था. उन्होंने दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका निभाई है. कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्ष किया है. इस संघर्ष में दिगंबर अखाड़ा के महंत परमहंस रामचंद्र दास के बाद महंत नृत्य गोपाल दास का ही नाम आता है.


पांच अगस्त को 28 साल बाद नृत्य गोपाल दास ने अयोध्या में रामलला के दर्शन किए थे. राम जन्मभूमि पूजन कार्यक्रम में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर थे. जन्माष्टमी के मौके पर गोपाल दास बुधवार रात मथुरा में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस बार वह बाल गोपाल के अभिषेक के लिए अयोध्या से पवित्र सरयू जल भी लाए थे.


मंदिर आंदोलन में नृत्य गोपाल दास की भूमिका
महंत नृत्यगोपाल दास का जन्म 11 जून 1938 को मथुरा के बरसाना इलाके के करहैला गांव में हुआ था. 12 साल की उम्र में वैराग्य धारण कर अयोध्या आ गए थे. अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर मणिराम दास की छावनी के पीठाधीश्वर के रूप में उनकी ख्याति रही है. साल 1993 में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया था. नृत्य गोपाल दास इस ट्रस्ट के भी प्रमुख रहे थे.


श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रामानन्दाचार्य पूज्य स्वामी शिवरामाचार्य के साकेतवास हो जाने के बाद अप्रैल 1989 में महंत परमहंस रामचंद्र दास को कार्याध्यक्ष घोषित किया गया था. तब महंत नृत्य गोपाल दास श्रीराम जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष बने थे. साल 2003 में परमहंस के गोलोकवाली होने पर नृत्य गोपाल दास न्यास के अध्यक्ष बने. इसके बाद गोपाल दास की अगुवाई में ही राम मंदिर के लिए पत्थर तराशी में तेजी आई.


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