Dakota Plane: बीजू पटनायक का डकोटा विमान लाया जाएगा ओडिशा, जानिए इस प्लेन का इतिहास
Odisha News: एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विमान को ओडिशा ले जाने के प्रयास पिछले दो वर्षों में भी किए गए थे, लेकिन कोरोना महामारी ने योजना को रोक दिया.
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Dakota Planes History: ओडिशा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक (Biju Patnaik) के प्रतिष्ठित डकोटा विमान को कोलकाता से राज्य में लाने के लिए तैयार है. भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने इसके लिए ओडिशा (Odisha) में हवाई अड्डा परिसर में 1.1 एकड़ जमीन सौंपने पर सहमति व्यक्त की है. बीजू पटनायक को डकोटा विमानों का शौक था. अप्रैल 1947 में बीजू पटनायक ने इंडोनेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को बचाने के लिए इस विमान का इस्तेमाल किया था.
ऐसे में इस विमान का इतिहास और इससे जुड़े किस्से जानना भी जरूरी है. डगलस सी-47 स्काईट्रेन या डकोटा एक सैन्य परिवहन विमान है जिसे सिविलियन डगलस डीसी-3 एयरलाइनर से विकसित किया गया है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने इसका व्यापक रूप से उपयोग किया था और कई वर्षों तक विभिन्न सैन्य ऑपरेटरों के साथ सेवा में रहा.
विश्व युद्ध में शामिल रहा है ये विमान
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, कई देशों के सशस्त्र बलों ने सैनिकों, कार्गो और घायलों के परिवहन के लिए इस विमान का उपयोग किया था. उस दौरान अमेरिका में 10,000 से अधिक विमानों का उत्पादन किया गया था. अमेरिकी वायु सेना ने वियतनाम युद्ध में भी इन विमानों का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला डकोटा पहला प्रमुख ट्रांसपोर्ट विमान था. 1947 में कश्मीर हवाई अड्डे को पाकिस्तान समर्थित कबायली उग्रवादियों से बचाने के लिए डकोटा विमान का इस्तेमाल किया था.
भारत-पाकिस्तान युद्ध में हुआ था इस्तेमाल
भारतीय वायु सेना ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़ रहे अपने सैनिकों को आपूर्ति परिवहन के लिए इस विमान का उपयोग किया था. 1971 के भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश के गठन में भी डकोटा ने अहम भूमिका निभाई थी. युद्ध के दौरान बांग्लादेश में सैनिकों को एयरड्रॉप करने के लिए इन विमानों का इस्तेमाल किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, हजारों सी-47 को नागरिक एयरलाइन उपयोग में परिवर्तित कर दिया गया था. अमेरिकी वायु सेना का 6वां विशेष अभियान स्क्वाड्रन 2008 तक C-47 उड़ा रहा था.
ओडिशा लाया जा रहा बीजू पटनायक का विमान
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विमान को ओडिशा ले जाने के प्रयास पिछले दो वर्षों में भी किए गए थे, लेकिन कोरोना महामारी ने योजना को रोक दिया. गृह विभाग के अधिकारी ने कहा कि प्रशासन अब प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है क्योंकि एएआई ने अपनी हालिया बोर्ड बैठक में स्मारक स्थापित करने के लिए 1.1 एकड़ जमीन पट्टे पर देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जहां विमान को प्रदर्शन के लिए रखा जाएगा.
सड़क मार्ग से आएगा भुवनेश्वर
उन्होंने बताया कि ये विमान 64.8 फीट लंबा है, जिसके विंग 95 फीट तक फैले हुए हैं. कोलकाता से विमान के पार्ट्स को अलग-अलग सड़क मार्ग से भुवनेश्वर लाया जाएगा. आवश्यक मरम्मत के बाद पुर्जों को यहां फिर से जोड़ा जाएगा. बीजू पटनायक एक समाज सुधारक और राजनेता होने के साथ-साथ एक कुशल पायलट भी थे. उन्होंने देश की आजादी से पहले विमानों को उड़ाया और उच्च जोखिम वाले कई मिशनों को अंजाम दिया.
बीजू पटनायक ने की थी एयरलाइंस की स्थापना
इंडोनेशिया ने दो बार बीजू पटनायक को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भूमिपुत्र' से सम्मानित किया था. पटनायक ने सक्रिय राजनीति में आने से पहले कलिंग एयरलाइंस की स्थापना की थी जो कोलकाता से संचालित होती थी. इस एयरलाइन ने डकोटा (Dakota Plane) सहित लगभग एक दर्जन हवाई जहाजों का संचालन किया था. ओडिशा के वर्तमान सीएम नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक (Biju Patnaik), ब्रिटिश शासन के तहत रॉयल इंडियन एयर फोर्स के सदस्य भी थे.
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