नई दिल्लीः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत की रक्षा से जुड़े रिसर्च के कामों के लिये देश की अग्रणी संस्था है. यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक सब्सिडियरी यूनिट के रूप में काम करता है. इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना और रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी. इसे प्रचलित रूप में डीआरडीओ कहा जाता है. डीआरडीओ का ही पूरा नाम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है.



5000 से ज्यादा वैज्ञानिक
डीआरडीओ में फिलहाल 5000 से ज्यादा वैज्ञानिक और 25,000 से भी ज्यादा तकनीकी कर्मचारी काम कर रहे हैं. यहां राडार, मिसाइल आदि से जुड़े कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनका देश के रक्षा क्षेत्र में बेहद अहम योगदान संभव हो सकता है.


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डीआरडीओ के पास हैं 51 लैब्स
इस समय डीआरडीओ की अपनी 51 लैब्स हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में रिसर्च कर रही हैं.



क्या है डीआरडीओ के लक्ष्य

  • सैनिकों की बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए रक्षा सेवाओं को टेक्निकल सॉल्यूशन देना डीआरडीओ के मुख्य लक्ष्यों में से एक है.

  • अपनी रक्षा सेवाओं के लिए अल्ट्रा मॉर्डन सेंसर, वेपन सिस्टम को डेवलप करना और उत्पादन के लिए तैयार करना भी डीआरडीओ के कामों के अंतर्गत ही आता है.

  • मजबूत टेक्नोलॉजी बेस का निर्माण करना डीआरडीओ के कामों में से एक है.


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सालाना बजट
डीआरडीओ का सालाना बजट 1.18 अरब डॉलर के आसपास है और इसका इस्तेमाल विभिन रक्षा क्षेत्र की रिसर्च और डेवलपमेंट कार्यों के लिए किया जाता है. इसके लिए उत्तरदायी मंत्री रक्षा मंत्री होते हैं. संगठन का नेतृत्व रक्षा मंत्री, भारत सरकार, जो रक्षा मंत्रालय में सामान्य अनुसंधान और विकास के निदेशक तथा रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग (डीडीआर व डी) के सचिव भी हैं के वैज्ञानिक सलाहकार द्वारा किया जाता है


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कहां है हेडक्वॉर्टर
इसका हेडक्वॉर्टर दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के पास ही, सेना भवन के सामने डी आर डी ओ भवन में स्थित है. इसकी एक लैब नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित है.


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