नई दिल्लीः देश के पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस का निधन हो गया है. वह 88 साल के थे और पिछले काफी साल से बीमार चल रहे थे. करीब 5 साल से वह लगातार विस्तर पर पड़े हुए थे. उन्हें अल्जाइमर (भूलने) की बिमारी थी. दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उन्होंने आज आखिरी सांस ली. फर्नांडीस साल 2010 तक संसदीय राजनीति से जुड़े रहे.


तीन जून 1930 को जन्मे जॉर्ज फर्नांडीस को हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी. जॉर्ज कुल छह भाई बहन थे. मंगलौर में पले-बढ़े फर्नांडीस 16 साल की उम्र में पादरी बनने की शिक्षा लेने पहुंचे हालांकि बाद में उन्होंने चर्च छोड़ दिया और रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंच गए. जिसके बाद श्रमिकों ने जॉर्ज को अपना नेता चुना. इमरजेंसी के समय जॉर्ज फर्नांडीस को इंदिरा गांधी का कोप भाजन भी बनना पड़ा था. इस दौरान काफी दिनों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा था. उनकी शुरुआती छवि एक जबरदस्त विद्रोही की थी. अपने भाषणों के जरिए वह लोगों में एक अलग तरह का उत्साह जगा देते थे.


जॉर्ज का राजनीतिक सफर


साल 1967 के लोकसभा चुनावों में जब वह कद्दावर कांग्रेसी नेता एसके पाटिल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे तो वहां की जनता ने उन्हें अपने हथेलियों पर बिठाया और बहुमत देकर संसद भवन भेजा.


अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडीस 1989 में वीपी सिंह सरकार में रेल मंत्री और 1977-1979 के बीच जनता पार्टी सरकार में संचार और उद्योग मंत्री रहे. साल 1979 में मोरारजी देसाई सरकार में वह मंत्रिमंडल में बतौर उद्योग मंत्री शामिल थे. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जबरदस्त भाषण दिया. दो घंटे से ज्यादा लंबा यह भाषण लोकसभा में किसी भी नेता के सबसे यादगार भाषणों में से एक था. 27 जुलाई, 1979 को जॉर्ज ने उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और मोरारजी का साथ छोड़कर चौधरी चरण सिंह के खेमे से जा मिले और मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई.


ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर मशहूर जॉर्ज फर्नांडीस 9 बार लोकसभा चुनाव जीते. 1975 में इंदिरा गांधी की लगाई इमरजेंसी के बाद देश में नायक के तौर पर जो नेता उभरे, उनमें जॉर्ज सबसे आगे थे. 1977 में जेल में रहते हुए रिकॉर्ड वोट से बिहार के मुजफ्फरपुर से लोकसभा का चुनाव जीते थे.


इंदिरा को चुनौती


जॉर्ज फर्नांडीस ने श्रमिकों की मांगों को लेकर साल 1974 में देश की सबसे बड़ी रेल हड़ताल कराई थी. इस हड़ताल को राजनीतिक जगत में कहा जाता है कि जॉर्ज फर्नांडीस ने इंदिरा गांधी की सरकार के पहिए रोक दिए थे. इस घटना के बाद वह इंदिरा गांधी की आंखों में खटकने लगे थे. इस हड़ताल में करीब 14 लाख श्रमिकों ने भाग लिया था.


बीजेपी को मिला समाजवाद का साथ


जॉर्ज फर्नांडीस ने 1994 में जनता दल छोड़कर समता पार्टी का गठन कर लिया था. और 1996 में बीजेपी से हाथ मिला लिया. जब अटल बिहारी वाजपेयी ने 1997 में दूसरी बार सरकार का गठन किया तो जॉर्ज रक्षा मंत्री बने. उनके कार्यकाल में सफल पोखरण परमाणु परिक्षण और करगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में भारत को जीत हासिल हुई.


ताबूत घोटाला और तहलका स्टिंग मामले में उनका नाम आया लेकिन बाद में उन्हें कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई. जॉर्ज फर्नांडीस भारत के एकमात्र रक्षामंत्री हैं, जिन्होंने 6,600 मीटर ऊंचे सियाचिन ग्लेशियर का 18 बार दौरा किया था.


पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का 88 साल की उम्र में निधन


पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का 88 साल की उम्र में निधन