नई दिल्ली : जिस तुगलकाबाद कंटेनर डिपो में गैस का रिसाव हुआ है वह पहले भी मुसीबतों का कारण बनता रहा है. इससे पहले यहां छोटे-मोटे रिसाव दो से ज्यादा बार हुए हैं लेकिन, सबसे बड़ा मामला यहां 100 बम मिलने का है. बमों की जानकारी मिलने के बाद इससे निपटने के लिए सेना को लगाना पड़ा था.
सन 2004 में ईराक से आए कबाड़ में 100 जिंदा बम भी आ गए
दरअसल, सन 2004 में ईराक से आए कबाड़ में 100 जिंदा बम भी आ गए थे. आश्चर्य की बात यह थी कि उन बमों को न ही मुंबई पोर्ट पर पकड़ा जा सका और न ही तुगलकाबाद में ऐसी कोई व्यवस्था थी. हरियाणा की एक फैक्ट्री में जब बड़ा विस्फोट हुआ तो जांच डिपो तक पहुंची थी.
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इस मामले में उस समय सेना को लगाना पड़ा था
मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस मामले में उस समय सेना को लगाना पड़ा था. इसके साथ ही छोटे-मोटे गैस या रसायन रिसाव के मामले भी कई बार यहां सामने आए हैं. लेकिन, इस बार बड़े पैमाने पर गैस का असर देखा जा रहा है.
तुगलकाबाद में इसकी स्थापना सन 1983 में की गई थी
दरअसल, यह एक इनलैंड कंटेनर डिपो या ड्राइ पोर्ट है. तुगलकाबाद में इसकी स्थापना सन 1983 में की गई थी. यहां देश के सभी बंदरगाहों से अलग-अलग सामान आते हैं और उत्तर भारत में उनका वितरण होता है. देश का कस्टम विभाग इसकी देखरेख करता है.
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संवेदनशील रसायनों के साथ मोटर पार्ट्स, प्लास्टिक और धातु के सामान आते हैं
यहां पर एथाइल एल्कोहल, पॉली रेसिंस और ऐसे ही संवेदनशील रसायनों के साथ मोटर पार्ट्स, प्लास्टिक और धातु के सामान आते हैं. यह पूरा क्षेत्र कारीब 44 हेक्टेयर में फैला हुआ है. सुरक्षा और संरक्षा के इंतजाम भी यहां किए गए हैं.