नई दिल्लीः कर्नाटक में खंडित जनादेश के बाद सरकार बनाने को लेकर सभी अनिश्चतताओं पर विराम लग गया है. राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है. बीजेपी के बीएस येदुरप्पा कल सुबह नौ बजे सीएम पद की शपथ लेंगे. कल सिर्फ येदुरप्पा शपथ लेंगे और बाकी मंत्रिमंडल बाद में शपथ ग्रहण करेगा. बीजेपी ने इस की आधिकारिक जानकारी दे दी है. येदुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का समय मिला है.


येदुरप्पा कौन हैं और उनकी पूरी पृष्ठभूमि क्या है ये जानना आपके लिए जरुरी है. येदुरप्पा कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समाज के एक कद्दावर नेता हैं. हालांकि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप जब लगे और वो जेल गए तब उनका नाता बीजेपी से छूट गया था. कर्नाटक वो राज्य है जहां दक्षिण भारत में सबसे पहले बीजेपी का कमल खिला था और इसके मुख्यमंत्री बी.एस. येदुरप्पा बने. लेकिन आरोपों के कारण वह अपने पद पर बने नहीं रह सके.


चुनावी रैली में लोगों से जबरन वोट डलवाने की बात कही
कर्नाटक चुनाव में रैली के दौरान येदुरप्पा के एक बयान ने सनसनी मचा दी. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं से वोटर्स को जबरन बूथ पर लाकर बीजेपी को वोट दिलवाने की बात कही. कर्नाटक की किट्टूर सीट से बीजेपी उम्मीदवार महंतेश डोड्डागौडर के लिए प्रचार करने पहुंचे येदुरप्पा ने कहा, ‘’अब आराम मत करें. अगर आपको लगता है कि कोई वोट नहीं कर रहा है, तो उनके घर जाइए, उनके हांथों और पैरों को बांध दीजिए और उन्हें महंतेश डोड्डागौदर के पक्ष में वोट डालने के लिए लेकर आइए.’’ बयान पर विवाद बढ़ता देख येदुरप्पा ने सफाई पेश की और कहा कि मेरा मतलब हाथ-पैर जोड़कर बूथ पर वोटर्स को लाना था ना की हाथ-पैर बांध कर.


भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का लगा आरोप
बी.एस. येदुरप्पा पर 40 करोड़ की रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार करने के आरोप लग चुके हैं. ना सिर्फ येदुरप्पा पर बल्कि उनके बेटे और दामाद पर भी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे. कर्नाटक के एक लोकायुक्त ने येदुरप्पा पर इस्पात कंपनी जेएसडब्ल्यू रिश्वतखोरी और फर्जीवाड़े मामले में शामिल होने का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद बी.एस. येदुरप्पा को सीएम पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. इस मामले में येदुरप्पा जेल भी जा चुके हैं. हालांकि साल 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था.


लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अवैध खनन के मामले में मुख्यमंत्री दोषी हैं और इसमें सरकारी ख़ज़ाने को 16 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ. साथ ही खनन लाइसेंस समेत कई अनुचित लाभ पाने के लिए साल 2010 में उनके परिवार से जुड़े प्रेरणा ट्रस्ट को 40 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई. इस संगीन आरोप के कारण ही उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था.


सीएम पद से हटने के बाद ऐक ऐसा वक्त आया जब येदुरप्पा ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और अपनी पार्टी बनाई. कर्नाटक के 2013 विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी के दम पर हिस्सा लिया, लेकिन नाकाम रहे और फिर लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में उनकी वापसी हुई.


क्यों अलग हैं येदुरप्पा
साल 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित कई विधानसभा चुनाव, हर जगह बीजेपी ने अपनी विकासवादी और भ्रष्टाचार विरोधी छवि के दमपर ही चुनाव लड़ा और जीता है. यहां तक की हाल-फिलहाल में राज्य सरकारों में सीएम पद के लिए जिन नेताओं का भी चुनाव किया गया उनपर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप नहीं रहे. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की बात करें तो उनकी भी हिंदूवादी छवि है और कभी भी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं रहे. ऐसे ही मनोहर लाल खट्टर (हरियाणा के सीएम) या देवेंद्र फड़नवीस (महाराष्ट्र के सीएम) जैसे नेताओं पर किसी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं. हालांकि येदुरप्पा के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं और बीजेपी ने उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर चुनावों में दांव खेला था. अब कह सकते हैं कि बीजेपी का ये दांव चल गया क्योंकि राज्य में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है.