नई दिल्ली: आज वैश्विक स्तर पर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है. आतंक के आका और भारत के सबसे बड़े दुशमन मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया गया है. हर बार मसूद को बचाने वाले चीन ने इस बार यूएन में कोई अड़ंगा नहीं डाला. अजहर मसूद ही वो शख्स जिसने संसद हमला, पठानकोट और पुलवामा में हमला कराया था. मसूद के ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने का मतलब है कि वो दुनिया में कहीं और नहीं जा पाएगा. मसूद पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है और अब इस कदम के बाद पाक पर आतंकवाद के खात्मे को लेकर और दबाव बढ़ेगा.
कौन है आतंक का आका मसूद अजहर?
मसूद अजहर का जन्म पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ. उसकी पढ़ाई कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया में हुई और वह हरकत-उल-अंसार से जुड़ गया. और यहीं से उसने आतंकी गतिविधियां शुरू की. साल 1994 के करीब मसूद अजहर श्रीनगर आ गया, उसे उसी साल फरवरी में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. आतंकियों ने मसूद अजहर को छुड़ाने की कई बार कोशिशें की. साल 1995 में जम्मू-कश्मीर से कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर लिया गया. आतंकियों ने पर्यटकों को छोड़ने के बदले मसूद अजहर को जेल से रिहा करने की मांग रखी. इस बीच आतंकियों के चंगुल से एक विदेशी पर्यटक फरार हो गया, बाद में आतंकियों ने सभी पर्यटकों की हत्या कर दी.
इसके बाद आतंकियों ने साल 1999 में आतंकी मसूद अजहर को छुड़वाने की कोशिश की जिसमें वे कामयाब रहे. दरअसल, दिसंबर 1999 में काठमांडू एयरपोर्ट से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली जाने वाले भारतीय विमान IC814 को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया और विमान को लेकर अफगानिस्तान के कंधार चले गए. अपहरण किए गए विमान में कुल 178 सवार थे. आतंकियों ने यात्रियों को छोड़ने के बदले मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर को रिहा करने की मांग की. पूरे हाईजैक के पीछे मसूद अजहर के छोटे भाई अब्दुल रऊफ असगर का हाथ था.
उच्च स्तर पर तमाम चर्चाओं के बाद अजहर समेत तीनों आतंकियों को जम्मू की कोट भलवाल कारावास से निकालकर कंधार ले जाया गया. जिसके बाद आतंकियों ने सभी यात्रियों को रिहा कर दिया. मसूद अजहर ने उसके बाद साल 2000 में जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया और वह लगातार कश्मीर में युवाओं को भड़काने और आजादी की बात करता आ रहा है.
मसूद अजहर भारत में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है. मसूद अजहर पाकिस्तान से चलने वाले आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना है. साल 2016 में उरी में आर्मी कैंप पर हमले के पीछे भी मसूद अजहर था. इसके साथ ही फरवरी महीने पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर है. इस हमले में 44 जवानों की शहादत हुई थी, इस शहादत का बदला भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान में जैश के अड्डों पर एयरस्ट्राइक करके लिया.
ग्लोबल आतंकी घोषित होने से अब क्या होगा?
भारत सरकार पिछले कई सालों से मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपील कर रहा था लेकिन हर बार उसे चीन बचा लेता था. ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बाद मसूद अज़हर किसी भी देश में यात्रा नहीं कर पाएगा. पूरी दुनिया में मसूद की संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी. मसूद किसी भी देश से हथियार नहीं खरीद पाएगा और सबसे बड़ी बात इसके बाद पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने खुलकर मसूद अज़हर का बचाव भी नहीं कर पाएगा.
पाकिस्तान में आतंकियों के रसूख को देखते हुए इस बात की उम्मीद मुश्किल है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में नाम जोड़े जाने के बाद उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी. पहले से प्रतिबंधित सूची में मौजूद हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगना को हासिल सहूलियतों को देखते हुए इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है. हालांकि आतंकवाद को लेकर बढ़ते दबाव और एफएटीफ ब्लैकलिस्टिंग की लटकती तलवार के बीच इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता कि दिखावे के लिए ही सही मगर मसूद अजहर पर नकेल कसना पाकिस्तान की मजबूरी जरूर होगी.