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देश में 74 साल बाद कितनी बदली कैबिनेट की तस्वीर, जानें नेहरू कैबिनेट से लेकर मोदी तक, कैबिनेट मंत्रियों की खास बातें

मोदी सरकार में 13 महिलाओं को मंत्री बनाया गया है जबकि यूपीए-2 के दौरान 15 महिला कैबिनेट मंत्री थी. हालांकि, ये सभी एक साथ मंत्री नहीं रही, शुरू में 10 महिलाएं कैबिनेट का हिस्सा थीं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार पिछले हफ्ते किया. बहुप्रतीक्षित इस विस्तार में जहां पेशेवर, युवा और अनुभवी चेहरों को जगह देते हुए जिन 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, उनमें 36 नए चेहरे थे जबकि 7 मंत्रियों को प्रमोशन किया गया था. वहीं, रविशंकर प्रसाद समेद कुछ ऐसे बड़े चेहरे है, जिनका इस्तीफा लेकर मोदी सरकार ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी हैरान कर दिया है.

मोदी कैबिनेट में इस वक्त 78 मंत्री हैं. इसमें जहां युवा चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह दी गई तो वहीं दूसरी तरफ बिना किसी चुने गए सदन सदस्य के असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को भी अहम जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आजादी के बाद जब पहली सरकार पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट का गठन हुआ था तो उसकी कैसी तस्वीर थी और पिछले 74 सालों में किस तरह इसने स्वरूप लिया है? आइये जानते हैं-

कैसी थी जवाहर लाल नेहरू की पहली कैबिनेट

जब 1947 में यानी 74 साल पहले जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त उनकी कैबिनेट में सिर्फ 14 मंत्री ही शामिल थे, जिनमें सरकार वल्लभ भाई पटेल, राजेन्द्र प्रसाद जैसे नेताओं ने नुमाइंदगी की. इस कैबिनेट में बीआर अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी जगह दी गई थी. हालांकि, पहली कैबिनेट में महिलाओं का प्रतिनधित्व कम रहा था और हिमाचल के मंडी से सांसद राजकुमारी अमृत कौर ही महिला के तौर पर एक मात्र मंत्री बन पाई थी.

मोदी और नेहरू कैबिनेट में समानताएं

मोदी कैबिनेट में एस. जयशंकर जैसे नौकरशाह को विदेश मंत्रालय का अहम जिम्मा देकर सरकार ने यह साफ कर दिया कि वह नौकरशाहों पर कितना भरोसा करती है. तो वहीं इस बार कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजीव चंद्रशेखर जैसे हॉर्वर्ड से पढ़े नेता शामिल हैं. लेकिन पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो देश कैबिनेट में नौकरशाहों और पढ़े-लिखों को शामिल करने का यह चलन पहली कैबिनेट से ही रहा है.

जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पहली कैबिनेट में गैर-राजनेता सीएच भाभा को जगह दी थी जो एक बिजनेसमेन थे. भाभा कैबिनेट में शामिल होने से पहले तक ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी में डायरेक्टर थे, जिन्हें वाणिज्य मंत्रालय सौंपा गया था.

 कब किस कैबिनेट में कितने मंत्री बने?

 मोदी कैबिनेट में विस्तार के बाद इस वक्त जहां 78 मंत्री हैं जबकि आजादी के बाद से कैबिनेट मंत्रियों पर नजर डालें तो 1947 में 14 मंत्री रहे, 1952 में 21 मंत्री रहे, 1957 में 38, 1962 में 22, 1967 में 30, 1964 में लाल बहादुर शास्त्री कैबिनेट में 29, 1966 में इंदिरा कैबिनेट में 42, 1967 में 30, 1971 में 36, 1977 में 30, 1979 में 32, 1980 में 22, 1984 में 49, 1989 में 24, 1991 में 54, 1996 में 12, 1996 में 20, 1997 में 34, 1988 में 43, 1999 में 70, 2004 में 68 कैबिनेट मंत्री बने. उसके बाद मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में 2009 में 79 कैबिनेट मंत्री, 2014 में मोदी कैबिनेट में 46 मंत्री, 2019 में 58 मंत्री और उसके बाद 2021 में कैबिनेट विस्तार के बाद 78 मंत्री है.    

कब-कब बिना किस सदन के भी बनाए गए मंत्री

ऐसा नहीं है कि सर्वानंद सोनोवाल को पहली बार है बिना किसी सदन के चुने सदस्य के ही मंत्री बनाया गया बल्कि इससे पहले जब साल 2019 में मोदी की सरकार बनी थी उस वक्त एस. जयशंकर और रामविलास पासवान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, जबकि वह किसी सदन के सदस्य नहीं था. इससे पहले इंदिरा कैबिनेट में त्रिगुण सेन, 1977 में शांति भूषण, 1985 में अर्जुन सिंह, 1991 में मनमोहन सिंह और शरद पवार जैसे कई नेता रहे, जिन्हें बिना किसी सदन के सदस्य न होने के बावजूद मंत्री बनाया गया था.  

कब कितनी महिला को कैबिनेट में जगह

मोदी सरकार में 13 महिलाओं को मंत्री बनाया गया है जबकि यूपीए-2 के दौरान 15 महिला कैबिनेट मंत्री थी. हालांकि, ये सभी एक साथ मंत्री नहीं रही, शुरू में 10 महिलाएं कैबिनेट का हिस्सा थीं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि 1947 की पहली कैबिनेट में 1 महिला मंत्री थी. लेकिन राजीव गांधी से लेकर अटल बिहार और मनमोहन सरकार में दस से ज्यादा महिला कैबिनेट मंत्री को जगह दी गई है.

ये भी पढ़ें: मंत्री ना बनाए जाने से प्रीतम मुंडे समर्थक नाराज, करीब 70 कार्यकर्ताओं ने विरोध में इस्तीफा दिया

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