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पंचायती राज क्या है, 24 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है, समझिए पूरी बात

एक समय में सरपंच गांव का सबसे ज्यादा सम्मानित शख्स होता था. पूरे गांव में उसी की चलती थी. लेकिन अब ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर चुनाव होता है और स्थानीय निकायों के लिए सदस्यों को चुना जाता है.

भारत जैसे विशाल देश को सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकार चलाने में सक्षम नहीं हो सकती हैं. इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी एक सिस्टम होना जरूरी है. क्योंकि ज्यादा जनसंख्या और ज्यादा क्षेत्रफल वाले प्रदेश में किसी एक शख्स या सरकार के लिए गांव, कस्बे या जिले में रहने वाले सभी लोगों की समस्या को सुन पाना संभव नहीं है. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एक सिस्टम बनाया गया ताकि जमीनी स्तर की बागडोर संभाली जा सके. इसी सिस्टम का नाम है 'पंजायती राज'.

पंचायती राज के तहत गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है. गांव, इंटरमीडिएट और जिलास्तर पर पंचायतें संस्थागत बनाई गई. इन स्थानीय निकायों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्तियां और जिम्मेदारियां दी गईं. इन संस्थानों में वोटिंग के जरिए सदस्यों का चुनाव होता है.

24 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है? पंजायती राज हर साल 24 अप्रैल को देशभर में मनाया जाता है. दरअसल, ये दिन भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 के पारित होने का प्रतीक है. साल 1992 में पहली बार भारतीय संविधान में 73वां संशोधन कर पंचायती राज संस्थान की पेशकश की गई थी. इसके बाद 24 अप्रैल 1993 से ये अधिनियम लागू हो गया था. इसी वजह से 24 अप्रैल को देशभर में पंचायती राज मनाया जाता है.

हालांकि 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई. पंचायती राज के सिस्टम की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को एक अलग मंत्रालय भी बनाया गया. ये पंचायती राज मंत्रालय सभी स्थानीय निकायों की देखरेख करता है. राजस्थान देश का पहला राज्य माना जाता है, जहां सबसे पहले पंचायती राज सिस्टम लागू किया गया.

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