PMLA News : देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(Prevention Of Money Laundering Act) को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को PMLA के तहत मिले अधिकारों को उचित ठहराया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीएमएलए कानून में किए गए बदलाव ठीक है और ईडी की गिरफ्तारी करने की शक्ति भी सही है. 


इस एक्ट के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 242 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने जिस पर अब अपना फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में पीएमएलए कानून के तहत अपराध से बनाई गई संपत्ति, उसकी तलाशी और जब्ती, आरोपी की गिरफ्तारी की शक्ति जैसे PMLA के कड़े प्रावधानों को सही ठहराया है. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर धन शोधन निवारण अधिनियम क्या है? जिसके खिलाफ सर्वोच्च अदालत में इतनी सारी याचिकाएं दायर की गई हैं.


क्या है धन शोधन निवारण अधिनियम?


साल 2002 में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) को पारित किया गया था. उसके बाद 1 जुलाई 2005 में इस अधिनियम को लागू कर दिया गया. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है. इसके अलावा इस एक्ट का मकसद आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे मिली संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाना है. बता दें कि इस एक्ट के अंतर्गत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय की है. 


क्या है मनी लॉन्ड्रिंग?


आसान भाषा में कहे तो मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है गैर-कानूनी तरीकों से कमाए गए पैसों को लीगल तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलना, मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से कमाए गए धन को छिपाने का एक तरीका है. इस प्रकार के गैर-कानूनी धन की हेरा-फेरी करने वाले व्यक्ति को लाउन्डर कहा जाता है.  


PMLA के तहत दंड का प्रावधान


मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए गए अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसके तहत अपराध के माध्यम से कमाई गई संपत्ति को जब्त किया जाता है. इसके तहत कम से कम 3 वर्ष का कठोर कारावास की सजा का प्रवाधान है जिसे 7 वर्ष तक भी बढ़ाया जा सकता है. वहीं, अगर इसके साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है. 


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