नई दिल्लीः माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के यूजर्स इन दिनों मैस्टोडॉन की ओर मूव कर रहे हैं. कई यूजर्स ट्विटर को गुड बाय कह सोशल मीडिया मैस्टोडॉन पर अपना अकाउंट बना रहे हैं. मैस्टोडॉन शब्द की अगर बात करें तो यह एक जानवर कि तरह दिखता है जसिके दांत हाथी की तरह दिखता है जबकि मुंह गौर से देखने पर डायनासोर की तरह नजर आता है.


आज हम उस मैस्टोडॉन की बात नहीं कर रहे हैं जो जानवर है. दरअसल, आज हम जिस ‘मैस्टोडॉन’ की बात कर रहे हैं वह एक स्वतंत्र और ओपन-सोर्स सोशल नेटवर्किंग एप्लीकेशन है.


मैस्टोडॉन यूजर्स को अपने नेटवर्क में खुद के सर्वर नोड को होस्ट करने की इजाजत देता है. इसके जरिए अलग-अलग यूजर बेस को कई अलग-अलग सर्वरों में संचालित करने की अनुमति देता है. ये सभी सर्वर एक सोशल नेटवर्क के रूप में आपस में जुड़े हुए रहते हैं. इन सर्वरों के जरिए यूजर्स को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की अनुमति मिलती है.


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आज सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर पर लिखे पोस्ट अगर किसी को पसंद नहीं आता है तो वह न सिर्फ आपत्ति जताता है बल्कि कमेंट और रिप्लाई में गाली भी देता है. इसी से बचने के लिए मैस्टोडॉन ने नए प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है. मैस्टोडॉन की वेबसाइट के अनुसार, ''मैस्टोडॉन पर यूजर्स को खुद को गाली-गलौज से बचाने के लिए दुरुस्त व्यवस्था की गई है.''


इसके लिए आपको इस एप्लिकेशन में जाकर लॉगइन करना होगा. यहां पर यूजर्स अपना पासवर्ड डालकर अपना अकाउंट बनाते हैं. धीरे धीरे आपका अकाउंट लोगों के बीच तक पहुंचता है और आपको पोस्ट की रीच बढ़ती है.


इस प्लेटफॉर्म पर अपना फोटो, टेक्सट और वीडियो भी डाल सकते हैं. इसके अलावा फोटो और वीडियो का कैप्शन भी डाला जा सकता है.


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