जानिए- तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद को, कैसे जबरदस्ती अमीर बने, खिलाफ में फतवा भी आ चुका है
क्या इस्लामी शिक्षा का जानकार महामारी के बारे में अंजान बना रह सकता है ?क्या उसके तब्लीगी जमात प्रमुख को मुल्क में लॉकडाउन के बारे में जानकारी नहीं थी ?मौलाना साद पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है लेकिन कई सवालों के जवाब बाकी हैं.
![जानिए- तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद को, कैसे जबरदस्ती अमीर बने, खिलाफ में फतवा भी आ चुका है Know about Tablighi Jamaat chief Maulana Saad जानिए- तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद को, कैसे जबरदस्ती अमीर बने, खिलाफ में फतवा भी आ चुका है](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/04/01155734/MAULANA-SAAD.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: कोरोना वायरस मामले में निजामुद्दीन इलाके का तब्लीगी हेडक्वार्टर अचानक विवादों में आ गया है. यहां जलसे में शामिल 6 लोगों की मौत तेलंगाना में कोरोना वायरस के कारण हो गई है. इसके बाद पुलिस ने तब्लीगी जमात के सर्वेसर्वा के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.
मौलाना साद पहले भी विवादों में फंस चुके हैं
तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद लॉकडाउन के उल्लंघन के कारण विवादों में फंस गये हैं. ये पहली बार नहीं है जब मौलाना साद विवादों में आए हैं. इससे पहले भी उनके खिलाफ दारुल उलूम देवबंद से फतवा जारी हो चुका है. 1965 में दिल्ली में जन्मे मौलाना की पहचान मुस्लिम धर्मगुरु के तौर पर होती है. उनका पारिवारिक संबंध तब्लीगी जमात के संस्थापक मौलान इलियास कांधलवी से जुड़ता है. साद ने अपनी पढ़ाई 1987 में मदरसा कशफुल उलूम, हजरत निजामुद्दीन और सहारनपुर से पूरी की. 1990 में उनकी शादी सहारनपुर के मजाहिर उलूम के प्रिसिंपल की बेटी से हुई.
चौथे अमीर हैं साद
तब्लीगी जमात के पहले अमीर (अध्यक्ष) मौलाना इलियास थे. उनके निधन के बाद उनके बेटे मौलाना यूसुफ को इसका अमीर बनाया गया है. मौलाना यूसुफ के अचानक निधन के बाद मौलाना इनामुल हसन को इसका अमीर बनाया गया. मौलाना इमानुल हसन 1965 से 1995 तक इसके अमीर रहे. उनके तीस साल के कार्यकाल में जमात का फैलाव दुनियाभर में हुआ. 1995 में उनके निधन के बाद जमात में विवाद छिड़ गया और किसी को भी अमीर नहीं बनाया गया. बल्कि चंद लोगों की कमेटी बना दी गई. बीते 25 साल में उस कमेटी के ज्यादातर सदस्य की मौत हो गई और उसमें मौलाना साद अकेले जिंदा हैं. ऐसे में मौलाना साद ने खुद को जमात का अमीर घोषित कर रखा है. हालांकि, इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ. दो साल पहले निजामुद्दीन में झगड़े भी हुए.
मुस्लिम समाज में उपदेशक के तौर पर पहचान
इन सब विवाद के बीच मुस्लिम समाज में मौलाना साद के उपदेश काफी धार्मिक महत्व के होते हैं जिनको बड़ी संख्या में लोग सुनते हैं. मौलाना साद की देखरेख में तब्लीगी जमात के कई आलीमी जलसे का आयोजन हुआ. 25 फरवरी 2018 को 'डॉन' ने तब्लीगी जमात के दो गुटों में मतभेद पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें मौलाना साद पर विद्वानों को अपमानित करने का आरोप लगाया गया. साथ ही ये भी बताया कि इस्लाम धर्म की गलत व्याख्या के चलते दारुल उलूम देवबंद मौलाना के खिलाफ फतवा जारी कर चुका है. हालांकि उनके समर्थकों का दावा है कि मौलाना साद कुरान और हदीस के हवाले से ही कोई बात कहते हैं.
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