नई दिल्ली: यूपी में बीजेपी की बंपर जीत के सूत्रधारों में से एक केशव प्रसाद मौर्य को आज बीजेपी ने पुरस्कार दिया. उन्हें बीजेपी विधायक दल की बैठक में यूपी का उप मुख्यमंत्री चुना गया.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा केशव प्रसाद मौर्य हैं. बीजेपी को यूपी में प्रचंड जीत दिलाने में केशव प्रसाद मौर्य की बड़ी भूमिका रही है. अमित शाह की चुनावी रणनीति को अमल में लाने के लिए केशव प्रसाद ने जमीन-आसमान एक कर दिया. जिसका फल बीजेपी को यूपी में 312 सीटों के रूप में मिला.
48 साल के केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को इलाहाबाद के पास सिराथू में हुआ था जो अब कौशाम्बी जिले में आता है. केशव प्रसाद की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती जुलती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बचपन में चाय बेचते थे तो केशव प्रसाद मौर्य भी बचपन में चाय बेचकर गुजारा करते थे. सिराथू में एक स्कूल के बाहर केशव प्रसाद मौर्य के पिता चाय की दुकान लगाते थे, दोपहर में केशव प्रसाद दुकान पर चाय बेचते थे. गरीब परिवार में पले-बढ़े केशव सुबह अखबार भी बेचते थे.
पीएम मोदी की तरह केशव प्रसाद ने भी अपना घर परिवार छोड़ दिया था. महज 14 साल की उम्र में घर-बार छोड़कर वीएचपी के दिवंगत नेता अशोक सिंघल के साथ जुड़ गए. इसी दौरान केशव प्रसाद RSS से भी जुड़ गए. केशव प्रसाद के करीबी बताते हैं कि 12 सालों तक वो घर-परिवार से दूर रहे.
राम जन्म भूमि आंदोलन में केशव प्रसाद मौर्य ने सक्रिय भूमिका निभाई. जिसके बाद उनकी छवि हिंदू वादी नेता के रूप में होने लगी. केशव प्रसाद मौर्य ने संघ, वीएचपी और बीजेपी में कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं.
2002 में पहली बार केशव प्रसाद ने चुनावी राजनीति में कदम रखा. बीजेपी ने इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन जीत नहीं सके. 2007 विधानसभा चुनाव में भी जीत नसीब नहीं हुई. 2012 में जब समाजवादी पार्टी बंपर सीटों से जीती थी, उस दौर में कौशाम्बी जिले की सिराथू सीट से केशव प्रसाद विधायक चुने गए.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने केशव प्रसाद को इलाहाबाद की फूलपूर सीट से टिकट दिया. केशव प्रसाद ने मोदी लहर में फूलपूर सीट से तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की. बीजेपी को पहली बार फूलपूर सीट से जीत मिली थी. ओबीसी समुदाय से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य की संगठन पर पकड़ को देखते हुए पिछले साल अप्रैल में उन्हें यूपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई.
केशव ने पार्टी से मिली जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और पूरे चुनाव के दौरान उन्होंने करीब ढाई सौ रैलियां कीं. केशव प्रसाद मौर्य की मेहनत और कुशल नेतृत्व का पुरस्कार अमित शाह ने उन्हें चुनाव बाद दिया है.