(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vikram S Launching: एक नए युग की शुरुआत, विक्रम-एस की लॉन्चिंग की 10 बड़ी बातें, जानिए प्राइवेट रॉकेट खास क्यों है?
Indian Space Industry: वैसे तो भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया में बहुत उन्नत माना जाता है, लेकिन स्काईरूट पहली प्राइवेट कंपनी है, जो इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही है.
Rocket Launch: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शुक्रवार को नयी ऊंचाइयां छुएगा, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) श्रीहरिकोटा में अपने केंद्र से देश का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट ‘विक्रम-एस’ को लॉन्च करेगा. 4 साल पुराने स्टार्ट-अप स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) के विक्रम-एस रॉकेट को लॉन्च करने के लिए तैयारी कर ली गयी है.
ये देश की स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री को नई ऊंचाइयां देगा, जिस पर दशकों से सरकारी स्वामित्व वाले इसरो का बोलबाला रहा है. स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली प्राइवेट सेक्टर कंपनी बन गयी है, जो साल 2020 में केंद्र सरकार के स्पेस इंडस्ट्री को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोले जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में कदम रख रही है.
जानिए इससे जुड़ी 10 बड़ी बातें
- पहले प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस के लॉन्चिंग के लिए शुक्रवार सुबह 11 बजकर 30 मिनट का समय निर्धारित किया गया है. पहले इसे 15 नवंबर को लॉन्च करने की योजना थी.
- विक्रम-एस सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसके लॉन्चिंग के बाद 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा. रॉकेट का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और दिवंगत वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है.
- इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया. मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को ले जाया जाएगा. विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले जाये जाएंगे.
- स्काईरूट के एक अधिकारी ने कहा कि 6 मीटर लंबा रॉकेट दुनिया के पहले कुछ ऐसे रॉकेट में शामिल है जिसमें घुमाव की स्थिरता के लिए 3-डी प्रिंटेड ठोस प्रक्षेपक हैं.
- भारतीय अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने बुधवार को स्काईरूट के विक्रम-एस उप-कक्षीय यान के प्रक्षेपण को अधिकृत किया था.
- यह एलॉन मस्क की स्पेसएक्स के पहले प्राइवेट रॉकेट के लॉन्च जैसा है.
- यह एक तरह की टेस्ट फ्लाइट होगी. अगर इसमें सफलता मिलती है तो भारत प्राइवेट स्पेस कंपनी के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा.
- सस्ती लॉन्चिंग की वजह इसके ईंधन में बदलाव भी है. इस लॉन्चिंग में आम ईंधन के बजाय LNG यानी लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन (LoX) का इस्तेमाल किया जाएगा. ये ईंधन किफायती होने के साथ साथ प्रदूषण मुक्त भी है.
- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा, ‘‘यह भारत में निजी क्षेत्र के लिए बड़ी छलांग है. स्काईरूट को रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए अधिकृत की जाने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने पर बधाई.’’
- केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत इसरो के दिशानिर्देशों के तहत श्रीहरिकोटा से ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ के विकसित पहले निजी रॉकेट का प्रक्षेपण करके इतिहास रचने जा रहा है.
लॉन्चिंग से पहले किसने क्या कहा?
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों ने स्टार्ट-अप के लिए नवोन्मेषी संभावनाएं खोली हैं और बहुत कम समयावधि में करीब 102 स्टार्ट-अप अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन, नैनो-सेटेलाइट, प्रक्षेपण यान और अनुसंधान आदि क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंत्री के बयान के जवाब में सोशल मीडिया पर कहा, ‘‘हमें अपने मिशन पर गर्व है, जो भारतीय निजी क्षेत्र के लिए इतिहास बनाने जा रहा है तथा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करेगा.’’
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में ‘प्रारंभ’ का अनावरण किया था. स्काईरूट एयरोस्पेस के सह-संस्थापक पवन के. चांदना ने कहा, ‘‘हमारी टीम की महीनों तक रात-रात जगकर और पूरी सावधानी के साथ की गयी तैयारियों के बाद हम अपने पहले प्रक्षेपण मिशन ‘प्रारंभ’ की घोषणा करते हुए अति उत्साहित हैं.’’
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