जानिए दोपहर में कितने बजे देश के अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे पांचों राफेल लड़ाकू विमान
ये विमान फ्रांस से सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आ रहे है. एक जेट को पूरी तरह उड़ान भरने के लिए तैयार करने में 3-4 घंटे लगते हैं.
नई दिल्ली: फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में मैरीग्नेक वायुसेना अड्डे से सोमवार को रवाना हुए पांच राफेल विमानों का पहला जत्था आज अंबाला वायुसेना अड्डे पर पहुंचेगा. ये विमान आज दोपहर एक से तीन बजे के बीच अंबाला पहुंचेंगे. यहां वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया एक औपचारिक समारोह में इन विमानों को रिसीव करेंगे.
राफेल के अंबाला मे आने की वायुसेना ने पूरी तैयारी कर ली है. इसके लिए रफाल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी, दसॉ ने 227 करोड़ रूपये की लागत से एयरबेस में मूलभूत सुविधाएं तैयार की हैं, जिसमें विमानों के लिए रनवे, पाक्रिंग के लिए हैंगर और ट्रैनिंग के लिए सिम्युलेटर शामिल है.
अंबाला आने में क्यों लगा इतना वक्त?
ये विमान फ्रांस से सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आ रहे है. राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस के मैरिग्नैक से अंबाला आने में ज्यादा वक्त इसलिए लगा है, क्योंकि फाइटर जेट्स हालांकि सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरते हैं, लेकिन उनमें फ्यूल कम होता है और वे ज्यादा दूरी तय नहीं कर पाते हैं. राफेल का फ्लाईट रेडियस करीब एक हजार किलोमीटर का है (यानि कुल दो हजार किलोमीटर एक बार में उड़ पाएंगे). इसीलिए उनके साथ फ्रांसीसी फ्यूल टैंकर भी साथ में आए हैं, ताकि आसमान में ही रिफ्यूलिंग की जा सके. यही वजह है कि यूएई के अल-दफ्रा बेस पर हॉल्ट किया है.
कॉकपिट में पायलट्स के पैर तक सीधे नहीं होते
ये नए राफेल लड़ाकू विमान हैं. इसलिए उनकी सर्विसिंग और मेंटनेंस को जांच-परखना भी बेहद जरूरी है. मैरिग्नैक से अल-दफ्रा तक सात घंटे की उड़ान एक फाइटर पायलट के लिए बेहद लंबी उड़ान होती है. लड़ाकू विमान के कॉकपिट में पैर तक सीधे नहीं होते हैं. इसलिए पायलट्स किसी भी लंबी उड़ान से पहले और बाद में पूरा रेस्ट दिया जाता है. माना जाता है कि एक जेट को पूरी तरह उड़ान भरने के लिए तैयार करने में 3-4 घंटे लगते हैं.
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