द्वारका एक्सप्रेसवे: जानें- कब बनकर होगा तैयार और कैसे दिल्ली गुरुग्राम के बीच आने जाने वाले लोगों की मुश्किलें कर सकता है कम
गुरुग्राम से दिल्ली और दिल्ली से गुड़गांव के बीच सफर करने वाले लोगों के लिए जाम परेशानी साबित होती है. साल 2022 अगस्त तक लोगों को इससे छुटकारा मिल सकता है.
दिल्ली से गुरुग्राम होते हुए जयपुर जाने वाले रास्ते पर आए दिन लगने वाले जाम और खास तौर पर गुरुग्राम से दिल्ली और दिल्ली से गुड़गांव के बीच सफर करने वाले लोगों के लिए जाम परेशानी का कारण बनता है. अब अगले साल 15 अगस्त तक लोगों को इससे छुटकारा मिल सकता है.
इसकी वजह है द्वारका एक्सप्रेसवे जिसका निर्माण कार्य चल रहा है और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि 15 अगस्त 2022 तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. फिलहाल द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य पिछले कई सालों से काफी धीमी गति से चल रहा था और इसको लेकर लगातार मांग की जा रही थी कि यह जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए.
गुड़गांव से दिल्ली रोजाना करीबन 3 लाख गाड़ियां आती है
इस द्वारका एक्सप्रेसवे के चलते गुरुग्राम से दिल्ली वाले रास्ते पर लगने वाले जाम से निजात मिल सकती है. सामने आई जानकारी के मुताबिक फिलहाल गुड़गांव से दिल्ली वाले रास्ते पर रोजाना करीबन 3 लाख गाड़ियां आती जाती है. लेकिन जैसे ही यह द्वारका एक्सप्रेसवे बंद कर तैयार होगा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक दिल्ली से गुरुग्राम के बीच ट्रैफिक करीबन 40 से 50 फीसदी तक कम हो जाएगा.
बात की जाए द्वारका एक्सप्रेसवे की तो यह 29 किलोमीटर लंबा है और यह परियोजना करीब 9000 करोड़ की है. द्वारका एक्सप्रेस वे को देश का पहला एलीवेटेड अर्बन एक्सप्रेस वे कहा जा रहा है. इस एक्सप्रेस वे की ख़ासियत है इसमें 4 लेवल बनाए गए हैं जिसमें टनल अंडरपास, सडक एलीवेडेट प्लाईओवर और फ्लाईओवर के ऊपर फ्लाईओवर बनाए गए हैं. देश की पहली 9 किलोमीटर लम्बी 8 लेन की फ्लाईओवर और उसके साथ 6 लेन की सर्विस रोड भी इस एक्सप्रेस वे का हिस्सा है.
इस प्रोजेक्ट में 12 हज़ार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन किया गया
द्वारका एक्सप्रेस वे पर फ़ुल ऑटोमैटिक टोल सिस्टम लगाया गया है. साथ ही इस एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट पर इंटेलीजेंट परिवहन प्रणाली का भी इस्तेमाल किया जाएगा. ये देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिस पर 12 हज़ार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन किया गया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की माने तो एक पेड़ के ट्रांसप्लांटेशन में करीब ₹25000 का खर्च आया है.
द्वारका एक्सप्रेस वे के इस प्रोजेक्ट में 2 लाख मिट्रीक स्टील लगाया जाएगा जो कि एफिल टॉवर को बनाने में लगे स्टील से 30 गुना ज्यादा है. वहीं 20 लाख क्यूबिक मीटर कंकरीट लगा है जो कि बुर्ज ख़लीफ़ा को बनाने में लगे कंक्रीट से 6 गुना ज्यादा होगा.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को कम करने और दिल्ली समेत आसपास के रास्तों पर लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने के लिए ऐसा नहीं है कि सिर्फ द्वारका एक्सप्रेसवे पर ही काम चल रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की माने तो दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए द्वारका एक्सप्रेसवे ऐसे कई सारे और प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
उदाहरण के लिए गुड़गांव से सोहना रोड के बीच 22 किलोमीटर लंबे हाईवे पर काम चल रहा है जिसकी लागत करीबन 2000 करोड़ आएगी. इसी तरीके से पानीपत हाईवे से लेकर मुकरबा चौक तक आठ लेन का एक और हाईवे जिसकी लंबाई करीब 78 किलोमीटर होगी और इस पर करीबन 2300 सौ करोड़ की लागत लगेगी. वहीं दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर 3,000 करोड़ का खर्च आएगा और इसकी लंबाई 51 किलोमीटर होगी। दक्षिणी दिल्ली के महारानी बाग से लेकर केएमपी एक्सप्रेस तक 6 लेन बनाने का काम चल रहा है जिस पर करीबन ₹5000 करोड़ की लागत आएगी.
अलग-अलग योजनाओं में 60,000 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च होगा
इसी तरह से दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर यू-टर्न अंडरपास और फ्लाईओवर बनाने का काम भी चल रहा है जिसकी लागत 90 करोड़ होगी. दिल्ली को डीकन्जेस्ट करने के लिए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने जो अलग-अलग योजनाएं चलाई हैं उन पर 60,000 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च होगा. यानी साफ है कि केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय जिन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है उनके चलते आने वाले सालों मेंदिल्ली और आसपास के इलाकों में ट्रैफिक की सूरत बदल सकती है और साथ ही प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिल सकती है.
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