नई दिल्ली : देश की राजधानी में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए आज वोट डाले जाएंगे. ये चुनाव आम लोगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह जानना बेहद जरूरी है. संक्षेप में कहें तो दिल्ली वालों के लिए एमसीडी की जरूरत उनके जन्म से लेकर अंतिम यात्रा तक पड़ती है. तो वोट डालने से पहले जान लीजिए एमसीडी से संबंधित पूरी जानकारी.


एमसीडी क्या है:


एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम का गठन 1958 में हुआ था. दिल्ली का 96% हिस्सा एमसीडी के अंतर्गत आता है. 2011 में इसके तीन हिस्से कर दिए गए. फिलहाल उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के लिए तीन अलग-अलग निगम हैं. उत्तरी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के निगमों का मुख्यालय रामलीला मैदान के पास स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में है.


जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय कड़कड़डूमा में है. तीनों एमसीडी मिला कर 272 वार्ड हैं. उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली में 104-104 वार्ड हैं, जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 वार्ड हैं. एमसीडी में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण है. मेयर और स्थाई समितियों का चुनाव हर साल होता है. सारे महत्वपूर्ण फैसले स्थाई समिति लेती है. एमसीडी का कार्यकाल पांच सालों का होता है.


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एमसीडी के काम:


एमसीडी का मुख्य काम सफाई और कूड़े का निपटान है. इसके साथ ही प्राथमिक सरकारी शिक्षा की जिम्मेदारी भी एमसीडी की है. 6 बड़े हॉस्पिटल, लगभग 150 प्रसूति केंद्र और 100 डिस्पेंसरी भी एमसीडी चलाती है. 200 से ज्यादा सामुदायिक भवन एमसीडी के अंदर आते हैं. पार्क से लेकर पार्किंग बनाने से लेकर जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र तक एमसीडी जारी करती है.


घरों के नक्शे भी एमसीडी ही पास करती है. इसके अलावा भी एमसीडी की कई और जिम्मेदारियां हैं जैसे शमशान घाटों का रखरखाव, हेल्थ ट्रेड लाइसेंस, जेनरल ट्रेड लाइसेंस, फैक्ट्री लाइसेंस जारी करना आदि. गलियों की सड़क भी एमसीडी बनाती है.


एमसीडी का हिसाब-किताब:


तीनों निगमों की अलग अलग बात करें तो मौजूदा बजट में उत्तरी दिल्ली नगर निगम का बजट 72 सौ करोड़, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का बजट 42 सौ करोड़ और पूर्वी दिल्ली नगर निगम का बजट 36 सौ करोड़ रुपए है. इनमें से उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगम घाटे में चल रहे हैं.


निगमों के बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों की तनख्वाह में चला जाता है. तीनों एमसीडी को मिला कर कुल 1 लाख 60 हजार कर्मचारी हैं. जिनमें से केवल सफाई कर्मचारियों की संख्या 60 हजार है. जहां तक निगमों की कमाई का सवाल है तो आय का सबसे बड़ा जरिया प्रॉपर्टी टैक्स है. इसके अलावा विज्ञापन, पार्किंग आदि से एमसीडी की कमाई होती है. दिल्ली सरकार भी एमसीडी को करों में से उसका हिस्सा, अनुदान और कर्ज देती है.


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एमसीडी की जरूरत :


एमसीडी से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियों से आप समझ गए होंगे कि एमसीडी आपके लिए कितना अहम है. साफ-सफाई से लेकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, घर के नक्शे पास कराने, किसी भी कार्यक्रम के लिए सामुदायिक भवन की जरूरत आदि अनेकों महत्वपूर्ण काम के लिए आपको एमसीडी की जरूरत पड़ती है. एमसीडी आपकी सेहत के लिए पार्क बनवाता है तो आपकी गाड़ियों के लिए पार्किंग.


दिल्ली के तीनों एमसीडी को मिला कर 12 ज़ोन हैं. लोगों से जुड़ा ज्यादातर काम जोनल ऑफिस में ही होता है. अपने इलाके के विकास कार्यों के लिए एक पार्षद को सालाना लगभग 2 करोड़ का फंड मिलता है. पार्षद आपके सबसे करीब रहने वाला जनप्रतिनिधि होता है. इसलिए रविवार को होने वाले एमसीडी चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट जरूर करें.