आइए जानते हैं 67 एकड़ भूमि की पूरी कहानी-
याद रहे कि पिछले लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भी केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था. तब केंद्र सरकार ने इस आवेदन में न्यायालय के 2003 के आदेश में सुधार का अनुरोध किया था.
बता दें कि अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था. तभी केंद्र सरकार ने 1993 में एक कानून के माध्यम से 2.77 एकड़ सहित 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी. इसमें रामजन्म भूमि न्यास उस 42 एकड़ भूमि का मालिक था जो विवाद रहित थी और जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था.
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सरकार के अधिग्रहण के कदम पर चला विवाद
सरकार के इस अधिग्रहण के कदम पर विवाद चला. लोग कोर्ट गए. तब सुप्रीम कोर्ट ने 2003 के अपने आदेश में 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि सहित समूची भूमि के मामले में ‘यथास्थिति’ बनाये रखने का निर्देश दिया था. तब से ये भमि सरकार के पास थी. अब मोदी सरकार ने ये भूमि मंदिर के ट्रस्ट के देने का फैसला किया है.
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