नई दिल्लीः केरल में मासिक पूजा के लिए भगवान अय्यप्पा का सबरीमाला मंदिर कल से खुल रहा है. इससे पहले मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाले निलाकल में तनाव जोरों पर है. मंगलवार को भक्तों ने प्रतिबंधित उम्र वर्ग की महिलाओं को लेकर मंदिर की तरफ से जाने वाले वाहनो को रोक दिया. सुप्रीम कोर्ट के सभी उम्रवर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने वाले हालिया फैसले के बाद इस मंदिर को पहली बार कल खोला जा रहा है लेकिन आंदोलनकारी महिलाओं को मंदिर में घुसने से रोक रहे रहे हैं. एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, ‘‘प्रतिबंधित 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को निलाकल से आगे नहीं जाने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में पूजा भी नहीं करने दी जाएगी’’


क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था कि सबरीमला मंदिर में हर उम्र की महिलाएं जा सकती हैं. इससे पहले मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को एंट्री की इजाजत नहीं थी.


क्यों मंदिर में महिलाओं की एंट्री थी बैन?
केरल के सबरीमाला मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है. साथ ही, सबरीमाला की यात्रा से पहले 41 दिन तक कठोर व्रत का नियम है. मासिक धर्म के चलते युवा महिलाएं लगातार 41 दिन का व्रत नहीं कर सकती हैं. इसलिए, 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में आने की इजाज़त नहीं थी. पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला पर स्थित ये मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बेहद पवित्र माना जाता है और देशभर से लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं.


मंदिर में प्रवेश का हक लेने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

  • साल 1990 में केरल हाईकोर्ट में महिलाओं को एंट्री देने को लेकर एस महेंद्रन ने याचिका दायर की.

  • 5 अप्रैल 1991 केरल हाईकोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं की सबरीमाला मंदिर में एंट्री पर रोक की पुष्टि की और इसे बरकरार रखा.

  • 2006 सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने औरतों के मंदिर में बैन को हटाने के लिए याचिका दायर की. ये याचिका इस आधार पर फाइल की गई कि ये नियम भारतीय संविधान की धारा 25 का उल्लंघन करता है जिसके तहत धर्म को मानने और प्रचार करने की आजादी मिलती है.

  • नवंबर 2007: केरल में लेफ्ट सरकार ने महिलाओं की एंट्री पर बैन लगाने के सवाल को समर्थित करने की जनहित याचिका पर एक एफिडेविट फाइल किया.

  • जनवरी 2016: सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बैन की प्रैक्टिस पर सवाल उठाए.

  • 7 नवंबर 2016: लेफ्ट सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वो सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश दिलाने के पक्ष में है.

  • 13 अक्टूबर 2017: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने संबंधी केस को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भेजा गया.

  • 26 जुलाई 2017: पंडालम राज परिवार ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर डाली गई याचिका को चुनौती दी. उन्होंने इसे हिंदू आस्था के खिलाफ बताया. उनकी तरफ से वकील ने कोर्ट में बताया कि मंदिर के देवता भगवान अयप्पा शाश्वत ब्रह्मचारी हैं लिहाजा पीरियड्स के दौर से गुजरी रही महिलाओं को मंदिर के प्रांगण में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए.

  • 28 सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दी. महिलाओं को रोकने संबंधी कानून आर्टिकल 25 (क्लॉज 1) और रूल 3 (बी) का उल्लंघन करता है.


कब खुलता है सबरीमाला मंदिर
दूसरे हिंदूं मंदिरों की तरह सबरीमाला मंदिर सालभर नहीं केवल मलयालम कैलेंडर के मुताबिक हर महीने के पांचवे दिन खुलता है. मंदिर को मलयालम थुलाम महीने में पांच दिन की मासिक पूजा के बाद 22 अक्टूबर को बंद कर दिया गया था.


कौन है भगवान अयप्पा
भगवान अयप्पा विष्णुजी और शंकर भगवान के पुत्र माने जाते हैं और इन्हें हरिहरन भी कहा जाता है. हरिहरन से तात्पर्य में हरि अर्थात विष्णु जी और हरन अर्थात शिवजी हैं. हरि और हरन के पुत्र यानी हरिहरन के रूप में भी भगवान मोहिनीरूप में जब विष्णु जी प्रकट हुए उसके बाद भगवान अयप्पा का जन्म हुआ. हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक अयप्पा के माता पिता अर्थात शिव और मोहिनी ने इनके गले में सोने की घंटी बांधकर इन्हें पंपा नदी के किनारे रख दिया था. इसके बाद पंडालम के राजा राजशेखर ने बेटे की तरह इनका लालन पालन किया और जब पुत्र ने सबरी की पहाड़ियों में जाने की इच्छा प्रकट की तो वहां इनके लिए मंदिर का निर्माण करा दिया. दक्षिण में इनके मंदिर की बहुत मान्यता है और वहां देशभर से श्रद्धालु वहां पहुंचते हैं.