नई दिल्ली: हरियाणा में चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद एक नाम बहुत ज्यादा चर्चा में है और ये नाम पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा का है. कांडा के बीजेपी को समर्थन की खबरें मीडिया में आते ही विवाद शुरू हो गया है. विरोधियों से लेकर मीडिया तक बीजेपी कांडा के काले इतिहास की याद दिलाने लगे. इस सब बीच सूत्रों से खबर निकल कर आई कि कांडा को सरकार में जगह नहीं दी जाएगी. कांडा को लेकर लगी आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है. हरियाणा चुनाव की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को विवादों डालने वाले कांडा का इतिहास भी कम विवादित नहीं है.
आठवीं तक पढे हैं कांडा, 15 साल की उम्र में थी जूते की दुकान
गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में फंसे हरियाणा के पूर्व गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा आठवीं क्लास तक पढ़े हुए हैं. 15 साल की उम्र में कांडा ने जूते की एक छोटी सी दुकान खोल ली. इसके बाद रीयल एस्टेट से लेकर आईटी और फिर एमडीएलआर एयरलाइंस के जरिये कांडा ने कामयाबी की ऐसी उड़ान भरी कि वह हरियाणा के सबसे कामयाब कारोबारियों में शामिल हो गए. लेकिन कहते हैं कि ताकत का नशा, जब हद से आगे बढ़ जाए, तो बहकते कदम उल्टी गिनती शुरू कर देते हैं. ऐसा ही कुछ गोपाल कांडा के साथ भी हुआ.
बीजेपी ने किया कांडा से किनारा करने का फैसला, सरकार में नहीं मिलेगी हिस्सेदारी- सूत्र
महलनुमा घर में है हेलीपैड, करीब 100 करोड़ है कीमत
गोपाल कांडा की सियासत ही नहीं, उसकी दौलत भी चौंकाने वाली है. कभी जूते की छोटी सी दुकान चलाने वाले कांडा के पास आज की तारीख में ऐसा किलानुमा महल है, जिसकी कीमत 100 करोड़ के आसपास है. सिरसा−अलेनाबाद हाइवे पर ढाई एकड़ में फैला महलनुमा घर प्रतीक है हरियाणा में गोपाल कांडा की हैसियत का घर की चारदीवारी के भीतर हैलीपैड बना है. कांडा की राजनीतिक पहुंचका अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा भी यहां कई बार आ चुके हैं. कांडा के महल की चारदीवारी ग्रीन बेल्ट में पड़ती है लेकिन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग महकमे का नोटिस भी इसकी एक ईंट तक नहीं हिला पाया.
लगातार पार्टी बदलते हुए कांडा राजनीति की सीढ़ी चढ़ते गए
कांडा के सफर की शुरुआत जूते की एक दुकान से हुई, फिर 1996 में उन्होंने प्रॉपर्टी के कारोबार में कदम रखा और उसके बाद कामयाबी कदम चूमती चली गई. 15 साल में वह फर्श से अर्श तक जा पहुंचे. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का साथ दे चुके कांडा ने 2004 में पलटी मारी और कांग्रेस की सरकार बनते ही उसके पाले में आ गए.
इसके बाद उनका कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता चला गया. एमडीएलआर एयरलाइंस तो नहीं चली पर शॉपिंग मॉल और गोवा के होटल में कैसीनो, स्कूल, यूनिवर्सिटी और न्यूज़ चैनल चलते रहे. दौलत के साथ-साथ सियासी हैसियत भी बढ़ती चली गई और दबंगई इस कदर बढ़ गई कि संपत्ति की जांच करने आए आयकर विभाग के अफसरों तक को पीट दिया.
मंत्री बनने के बाद कांडा ने विरोधियों से लिया बदला!
मंत्री बनने के बाद कांडा ने अपने विरोधियों से चुन-चुन कर बदले लिए. अप्रैल, 2010 में सिरसा में सरेबाजार इनेलो नेता की पिटाई की. नवंबर, 2010 में कांडा की कार में गैंगरेप हुआ. इसके बाद पिछले साल उनकी कार से आगे निकलने के 'जुर्म' में क्रिकेटर अतुल वासन को भी बुरी तरह पीटा गया लेकिन कांडा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. दबदबा इतना ज्यादा कि भाई गोविंद कांडा भी लालबत्ती लगी गाड़ी में पुलिस सुरक्षा के साथ खुलेआम घूमता है.
चुनाव में जीत के खुश हैं कांडा के समर्थक
हरियाणा विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा की जीत से उनके कार्यकर्ता और समर्थकों का उत्साह चरम पर है. कड़े मुकाबले में 602 वोटों के अंतर से विजयी हुए गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया है. इसके साथ ही कांडा के सरकार में हिस्सा बनना भी लगभगल तय माना जा रहा है. ऐसे में कार्यकर्ता और समर्थकों को यकीन है कि सत्ता में सिरसा की भागीदारी होगी और सिरसा को गोपाल कांडा के रूप में प्रतिनिधित्व मिलेगा.
गीतिका शर्मा कांड को लेकर कांडा के खिलाफ थे बीजेपी नेता
गीतिका को आत्महत्या उकसाने के आरोप में केस दर्ज होने के बाद कांडा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस केस में अरुण चड्ढा की भी गिरफ्तारी हुई. गीतिका आत्महत्या केस देश में काफी चर्चित हुआ. गीतिका केस में कांडा के सजा दिलाने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. यहां तक कि भाजपा ने कांडा के खिलाफ प्रदर्शन किया था. गीतिका शर्मा मामले में दिल्ली पुलिस ने कांडा के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 376 और 377 के साथ चार्जशीट भी दायर की थी. कुछ समय बाद गीतिका की मां अनुराधा शर्मा ने अशोक विहार के अपने आवास में खुदकुशी कर ली.
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