गुजरात: गुजरात विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी हर दिन नए पारे पर चढ़ रही है. कांग्रेस को लगता है कि सत्ता की चाबी इस बार चार युवाओं के पास है, यहीं कारण है कि कांग्रेस ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को अपने पाले में लाने के बाद अब पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवानी और जन अधिकार मंच नेता प्रवीण राम को भी अपने पाले में लाने की कोशिश में है. इन युवा नेताओं की खासी चर्चा भी है. हालांकि हार्दिक और जिनेश का रुख कांग्रेस की तरफ है और प्रवीण राम ने भी राहुल गांधी से कल मुलाक़ात की है. लेकिन, भाजपा का सुव्यवस्थित युवा मोर्चा इस चौकड़ी से लोहा लेने की पूरी तैयारी कर चुका है.
इस बात की गवाही देती ये तस्वीर दिखती है. ये तस्वीर है डॉ ऋत्विज पटेल की, जो गुजरात भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं. 33 वर्षीय ऋत्विज भी पटेल हैं. सुशिक्षित हैं, पेशे से डॉक्टर हैं और गुजराती युवाओं के बीच अच्छी छवि रखते हैं.
जिन दिनों गुजरात में अनामत आंदोलन चल रहा था, उन्हीं दिनों भाजपा का सदस्यता अभियान भी चल रहा था. बड़ी संख्या में पार्टी से जुडऩे वालों में ज्यादातर युवा ही थे. यही युवा आज न सिर्फ गुजरात बल्कि किसी भी राज्य में अग्रिम पंक्ति के सिपाही की भूमिका निभाने को तैयार हैं.
यही कार्य चुनाव से पहले गुजरात में भी देखा जा रहा है. डॉ. ऋत्विज पटेल और उनकी युवा मोर्चा की टीम राज्य भर में विश्वविद्यालयों में युवाओं से मिल कर पीएम की बातें उन तक पहुंचाने का काम कर रही है.
दरअसल, किसी भी चुनावी राज्य में भाजपा जितना ध्यान बड़े नेताओं की सभाओं एवं रोड शो करती है. उससे ज्यादा 'होमवर्क' मतदान के दिन मतदाता को बूथ तक ले जाकर मतदान करवाने के लिए करती है. इसके लिए ही पांच बूथों के ऊपर एक शक्ति केंद्र तथा प्रत्येक बूथ पर 12 से 15 पन्नों में प्रमुख योजना बनाई जाती है. यानी 'वन बूथ- 20 यूथ'. जमीनी मोर्चे पर निभाई जाने वाली यह भूमिका वास्तव में युवा मोर्चेा के कार्यकर्ता ही निभाते हैं.
डॉ ऋत्विज का कहना है कि युवा मोर्चा ने गुजरात में युवाओं को जोड़ते हुए कई सफल कार्यक्रम किए गए हैं. उनका यह भी कहना है कि युवा फिलहाल एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास चाहता है इन्हीं मुद्दों से युवाओं तक पहुँच रहे हैं.
आपको यह भी बता दें कि गुजरात में बड़ी संख्या में अन्य प्रांतों के लोग भी रहते हैं. जिनके बीच प्रचार के लिए उन प्रांतों के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों और विधायकों को बुलाया जा रहा है. जैसा कि हाल ही में निर्मला सीतारमण ने मणिनगर में प्रचार किया था क्योंकि मणिनगर में तमिलों की संख्या ज्यादा है. आगे भी बाहर से आने वाले इन नेताओं को उनके समाज के स्थानीय लोगों तक पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता ही निभाने वाले हैं.