नई दिल्ली: सोमवार 23 दिसंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आप सबके सामने होंगे. झारखंड की जनता ने रघुवर दास पर दोबारा भरोसा किया है या फिर कांग्रेस और जेएमएम की सरकार आ रही है, यह बस कुछ घंटे में पता चल जाएगा. तमाम एग्जिट पोल पर यक़ीन करें तो लगता है कि रघुवर सरकार पर झारखंड की जनता को भरोसा नहीं रहा. दरअसल, इसकी बड़ी वजह है इस चुनाव में कांग्रेस और जेएमएम की रणनीति.


जेएमएम क्योंकि क्षेत्रीय पार्टी है तो ज़ाहिर है कि वो राज्य के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ रही थी. लेकिन समस्या कांग्रेस के सामने थी कि वो कैसे राष्ट्रीय मुद्दों से दूर रहकर झारखंड की जनता से जुड़े या यूं कहा जाए कि सिर्फ़ लोकल मुद्दों पर ही चुनाव लड़े. इसके लिए कांग्रेस ने एक रणनीति तैयार की जिसमें बड़े-बड़े पोस्टर छपवाए गए. लेकिन हर पोस्टर पर बड़े नेताओं की तस्वीर की ज़गह लोकल मुद्दों पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया. इसी तरीक़े से टीवी, रेडियो और अख़बार के इश्तहारों में भी झारखंड के मुद्दों को उजागर किया गया. जिसमें बेरोज़गारी, आदिवासी, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे तमाम सवाल थे जो बीजेपी की सरकार से पूछे गए.


फिर उसके बाद कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती थी संसद में चल रहा नागरिकता क़ानून का मुद्दा. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ग्रह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जब नागरिकता क़ानून और राम मंदिर जैसे मसलों पर भाषण देते थे तो कांग्रेस को लगता था कि इससे ध्रुवीकरण हो सकता है. लेकिन इन जटिल मुद्दों के सामने भी कांग्रेस ने पूरा फ़ोकस सिर्फ़ झारखंड के मुद्दों पर ही रखा.


दिल्ली से जो कांग्रेस के नेता सभा करने जाते थे तो उनको भी यही हिदायत दी जाती थी कि कुछ भी करके आप सिर्फ़ झारखंड की ही बात करें. कोई राष्ट्रीय बात करने का फ़ायदा नहीं होगा. एक समय आया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी. लेकिन चिदंबरम ने भी पहले देश की अर्थव्यवस्था पर बात की और उसके बाद झारखंड की अर्थव्यवस्था पर सरकार से सवाल पूछे. झारखंड कांग्रेस के लिए यह बहुत राहत भरी खबर थी क्योंकि सबको डर था कहीं चिदंबरम कोई राष्ट्रीय पर बहस न छेड़ दें और पूरा मुद्दा जो अभी तक राज्य तक सीमित था वो राष्ट्रीय मुद्दों पर ना चला जाए. दरअसल, यही चुनौती कांग्रेस के सामने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में भी थी. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के सामने अनुच्छेद 370 सबसे बड़ी चुनौती था.


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