कोरोना की वजह से ISRO के कई मिशन में देरी, जानें भारत के ‘Eye in the Sky’ कैसे रख रहे हैं चीन की हर गतिविधि पर नजर
इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा कि हमारे अंतरिक्ष के स्पाई चीन के मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं और वे बखूबी काम रहे हैं.
![कोरोना की वजह से ISRO के कई मिशन में देरी, जानें भारत के ‘Eye in the Sky’ कैसे रख रहे हैं चीन की हर गतिविधि पर नजर Know how India Eye in the Sky is keeping eyes on every Chinese activity ANN कोरोना की वजह से ISRO के कई मिशन में देरी, जानें भारत के ‘Eye in the Sky’ कैसे रख रहे हैं चीन की हर गतिविधि पर नजर](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/06/25153806/k-sivan.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
बेंगलुरू: देश भर में फैली कोविड-19 की महामारी का असर इसरो (Indian Space Research Organisation) के भी कई मिशन पर पड़ा है. इसरो प्रमुख डॉ के सिवन ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि लॉकडाउन की वजह से अंतरिक्ष में मानव को भेजने का मिशन गगन यान, मंगलयान-2 मिशन और चंद्रयान-3 मिशन में देरी के अलावा ऐसे 10 अंतरिक्ष अभियान 'डिस्टर्ब' हुए हैं जिन्हें इस साल प्रक्षेपित करने की योजना थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर पर चल रहे स्टैंड ऑफ पर इसरो के उपग्रह पूरी नजर रखे हुए हैं. हमारे अंतरिक्ष के स्पाई चीन की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं और बखूबी काम कर रहे हैं.
लॉकडाउन के बाद प्रभाव का आंकलन किया जाएगा
इसरो चीफ ने कहा कि इन अंतरिक्ष अभियानों पर लॉकडाउन के प्रभाव का आंकलन किया जाएगा. इसके बाद यह पता लग पाएगा कि कोविड-19 के कारण आखिर कितना नुकसान झेलना पड़ा है?
दरसअल प्रक्षेपण से जुड़े उपकरणों का उत्पादन प्राइवेट सेक्टर द्वारा किया जाता है. ऐसे में लॉकडाउन के कारण उपकरण नहीं मिल पाए और साथ ही इसरो के कर्मचारियों पर भी लॉकडाउन की मार का असर दिखा.
गगनयान मिशन के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है. इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन भी हो चुका है और वे रूस में ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं लेकिन यह भी लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुआ है. इसरो चीफ ने यह भी कहा कि कुछ दिन के लिए ट्रेनिंग रुकी थी लेकिन अब फिर से शुरू हो चुकी है और ट्रेनिंग के लिए टीम मॉस्को में ही है.
स्पेस की जिम्मेदारियां अब प्राइवेट प्लेयर्स को दी जाएगी अंतरिक्ष के क्षेत्र में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. दरअसल भारत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को भी रॉकेट और सैटेलाइट बनाने के लिए हरी झंडी दिखा दी है. इसरो चीफ के सिवन ने कहा कि अब स्पेस सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया जाएगा.
बता दें कि इसी साल नासा ने पहली बार प्राइवेट कंपनी स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यान से दो लोगों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा है. इस पर के सिवन ने कहा कि भारत भी पूरी तरह सक्षम है और प्राइवेट सेक्टर को दी गई ज़िम्मेदारी इसे और बल देगी.
डॉ. के सिवन ने बताया कि अब रॉकेट और सैटेलाइट बनाने और प्रक्षेपण सेवाएं मुहैया कराने के लिए निजी कंपनियों की मदद ली जाएगी. कई कंपनियां इसके लिए आगे भी आई है. इतना ही नहीं निजी कंपनियां अब अंतरृग्रहीय मिशन का भी हिस्सा होगी. वहीं इसरो रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करेगा.
निजी सेक्टर में मिशन की गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर इसरो चेयरमैन ने कहा कि इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा कि कहीं पर भी सुरक्षा और गोपनीयता के साथ कोई चूक ना हो.
चंद्रयान 3 के अलावा जापानी स्पेस एजेंसी के साथ भी करार गौरतलब है कि जिस तरह से चंद्रयान 2 मिशन आखिरी स्टेज पर लैंडिंग करने में नाकामयाब रहा उसके बाद इसरो ने चंद्रयान-3 भेजने का फैसला किया. जिसमें लैंडर और रोवर होंगे. वही इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ भी लुनार मिशन को लेकर करार किया है जो कि चंद्रमा की सतह पर मौजूद पानी को स्टडी करेगा.
भारत-चीन विवाद: सेना को जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए, अंडे देने के लिए नहीं हैं हथियार- अधीर रंजन चौधरी
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)