नई दिल्ली: इस साल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान मुख्य अतिथि बनाए गए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा 25 जनवरी को भारत आएंगे. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड पर मुख्य अतिथि बनना किसी भी देश के राष्ट्र प्रमुख के लिये विशेष सम्मान की बात होती है. परेड के मौके पर मुख्य अतिथि कौन होगा इसका फैसला भारत के राजनयिक हितों के मद्देनजर तय किया जाता है. अफ्रीका के साथ भारत के राजनयिक और आर्थिक रिश्तों को गहरा करने की रणनीति के तहत इस साल दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है.
गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि की यात्रा एक राजकीय यात्रा के समान है. मुख्य अतिथि को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. वह शाम को भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में भाग लेते हैं. वे राजघाट पर पुष्पांजलि भी अर्पित करते हैं. उनके सम्मान में भोज होता है. उनके लिए प्रधानमंत्री द्वारा दोपहर में लंच आयोजित किय़ा जाता है.
मुख्य अतिथि की यात्रा का केंद्र बिंदु यह होता है कि वह भारत के राष्ट्रपति के साथ आते हैं. यह मुख्य अतिथि को भारत के गौरव और खुशी में भाग लेने के रूप में चित्रित करती है. भारत के राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए दो लोगों के बीच मित्रता को दर्शाती है.
कैसे होता है अतिथि का चुनाव
सरकार सावधानीपूर्वक विचार के बाद किसी देश या उस देश के सरकार के प्रमुख को अपना निमंत्रण भेजती है. यह प्रक्रिया गणतंत्र दिवस से लगभग छह महीने पहले शुरू होती है. कई मुद्दों पर विदेश मंत्रालय (MEA) विचार करता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है भारत के उस देश के साथ संबंध जिस देश के अतिथि को निमंत्रण दिया जाता है. इसके अलावा अन्य कारकों में राजनीतिक, आर्थिक, और वाणिज्यिक संबंध, पड़ोस, सैन्य सहयोग, क्षेत्रीय समूहों में प्रमुखता आदि है.
एक तरफ NAM देशों के साथ भारत का भावनात्मक लगाव मजबूत बना हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ व्यापार, तकनीक और वित्तीय सहयोग जैसी विकास संबंधी अनिवार्यता ने अन्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों के नए अवसर खोले हैं. इन सभी बातों पर विचार करते हुए मुख्य अतिथि का चयन एक चुनौती जैसा बन जाता है.
MEA विचार-विमर्श के बाद नाम पर प्रधानमंत्री की मंजूरी लेता है. जिसके बाद राष्ट्रपति भवन की मंजूरी मांगी जाती है. इसके बाद जिस व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में चुना जाता है उनके संबंधित देश में भारत के राजदूत मुख्य अतिथि के कार्यक्रम और गणतंत्र दिवस के लिए उपलब्धता का पता लगाने की कोशिश करते हैं.
इस प्रक्रिया के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से सार्थक वार्ता की जाती है और अतिथि को मनाने की ओर काम किया जाता है. जबकि प्रोटोकॉल प्रमुख कार्यक्रम विवरण पर काम करते हैं. COP इसके बाद अपने समकक्ष को कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देता है. जो गणतंत्र दिवस समारोह के हर मिनट को लेकर होती है. चर्चा और बैठकों को लेकर समय पर आपसी सहमति बनाई जाती है लेकिन गणतंत्र दिवस समारोह और उनके कार्यक्रम के संबंध में कोई बदलाव नहीं होता.
भारत सरकार के संबंधित विभागों और राज्य की सरकारों के सक्रिय सहयोग से मुख्य अतिथि के यात्रा के सभी पहलुओं, जैसे कि सुरक्षा, चिकित्सा और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने की पूरी तैयारी की जाती है.
गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि का निर्णय अन्य देशों की रुचि और अतिथि की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी मुख्य अतिथि हो वो भारत यात्रा से खुश और संतुष्ट होना चाहिए.
जो भी मुख्य अतिथि होता है उसके साथ उसके देश की मीडिया आती है जो उस देश की यात्रा के बारे में बताती है.दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों और उनके आगे के विकास के लिए यह आवश्यक है कि अतिथि राष्ट्र की यात्रा को सफल माने. साथ ही मुख्य अतिथि को लगना चाहिए कि देश के प्रमुख ने उनका स्वागत सही तरीके से किया और उनको सम्मान मिला. वहीं हमारा देश यह दर्शाता है कि हमारा सत्कार हमारी परंपराओं, संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है.
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