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देश में 70 साल बाद चीतों की वापसी, जानें भारत में वन्यजीवों की कितनी प्रजातियां हो चुकी हैं विलुप्त...

Extinct Animals: भारत में चीतों को दोबारा से बसाने की तैयारी शुरू हो गई है. 1952 में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. यहां जानिए की भारत में वन्यजीवों की कितनी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं.

Indian Extinct Wildlife Species: भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं. देश में आखिरी बार चीते को 1948 में देखा गया था. वहीं साल 1952 में चीते को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. इसके बाद चीतों को भारत में दोबारा से बसाने की तैयारी शुरू की गई. अब 70 साल बाद देश में चीतों की वापसी हो रही है. नामीबिया से 8 चीतों को लाने के लिए भारत का विशेष विमान पहुंच गया है. चीतों को तो अब दोबारा बसाया जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में वन्यजीवों की कितनी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं.

अपसाइक्लर्स लैब पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दुनिया के सभी वनस्पतियों का 11.5% और सभी जीवों का 6.49% हिस्सा है. पिछली कुछ शताब्दियों में हमने वनस्पतियों और जीवों के विलुप्त होने के नुकसान को देखा है. हम अपने वन्य जीवन को अप्राकृतिक गति से खो रहे हैं इसलिए हमें सुरक्षा, संरक्षण और पर्यावरण सेवाओं की परवाह करनी चाहिए.

इतनी प्रजातियां हो चुकी विलुप्त

2016 में इंडिया वाटर पोर्टल पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेड़-पौधों की 384 विलुप्त हो चुकी हैं. वहीं मछलियों की 32, उभयचर की 2, सरीसृप की 21, बिना रीढ़ वाले जन्तु की 98, पक्षी की 113, स्तनधारी की 83. इन आंकड़ों के मुताबिक, कुल 724 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. 

पिछली कुछ शताब्दियों के भीतर विलुप्त हुए ये 5 भारतीय जानवर

द इंडियन ऑरोच

ये सुंदर जानवर घरेलू मवेशियों की तुलना में काफी बड़े थे. कहा जाता है कि वे मौजूदा गौर से बहुत मिलते-जुलते थे और बिल्कुल उनके जैसे दिखते थे, भले ही वे थोड़े बड़े हों. वे घरेलू उद्देश्यों के लिए उपयोग किए गए थे, हालांकि जंगली ऑरोच का शिकार अभी भी जारी है. यह अनुमान लगाया गया है कि शिकार, निवास स्थान के नुकसान और क्रॉसब्रीडिंग के साथ मिलकर प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण बनता है.

गुलाबी सिर वाली बत्तख

यहां एक और खूबसूरत प्रजाति है जो विलुप्त हो चुकी है, संभवतः शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण. गंगा के आसपास पाए जाने वाली और पहले से ही एक दुर्लभ जानवर, यह बत्तख अब 80 वर्षों में नहीं देखी गई है और इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया है.

हिमालयी बटेर

इस पक्षी का अंतिम सत्यापन योग्य रिकॉर्ड 1867 में मसूरी में था और तब से यह संभवतः विलुप्त जानवरों की सूची में है. यह एक मध्यम आकार का पक्षी है जो उत्तराखंड क्षेत्र में पाया जाता था. विलुप्त होने के संभावित कारणों की सूची में मानव शिकार गतिविधियां हैं.

मालाबार सिवेट

यह जानवर प्रसिद्ध रूप से लुप्तप्राय है लेकिन विलुप्त होने की आशंका है. यह 7 किलो की सिवेट बिल्ली कभी पश्चिमी घाट के तटीय क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में थी. हालांकि, 1990 के बाद से दो खाल पाए जाने के बाद से इसे देखा या रिकॉर्ड नहीं किया गया है. 2007 में कैमरा ट्रैप का उपयोग करके उन्हें खोजने का प्रयास भी निरर्थक साबित हुआ. इस बात पर बहस चल रही है कि क्या इस प्रजाति को विलुप्त घोषित करने का समय आ गया है या इसकी तलाश में और अधिक प्रयास करने का समय आ गया है. 

भारतीय जावन गैंडा
कभी सबसे व्यापक गैंडा प्रजातियों में से एक जावन राइनो, दुनिया में सबसे लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक बन गया है. वर्तमान में वे भारत में विलुप्त हैं. वे असम और बंगाल बेल्ट के साथ-साथ पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में पनपते थे. 

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