Detail: जानें, अयोध्या विवाद में मध्यस्थता के लिए कब-कब हुई कोशिश
इससे पहले भी कई बार अलग अलग पक्षों या तो मध्यस्थता की कोशिश की या फिर पेशकश की. लेकिन हर यह पहल किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या विवाद में मध्यस्थता को लेकर एक घंटे की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सभी पक्षों से नाम भी मांगे, उम्मीद की जा रही है कि आज ही इस पर बड़ा फैसला आ सकता है. सुनवाई के दौरान जहां मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा मध्यस्थता को लेकर तैयार दिखा तो वहीं रामलला और यूपी सरकार ने इसे लेकर असहमति दर्ज कराई.
दरअसल, पिछले हफ्ते अयोध्या मामले की सुनवाई यूपी सरकार की तरफ से कराए गए दस्तावेजों के अनुवाद पर विवाद के चलते अटक गई थी. मुस्लिम पक्ष ने मांग की थी कि वो दस्तावेजों को देखकर बताएगा कि अनुवाद सही है या नहीं.
कोर्ट ने इसकी इजाज़त देते हुए सुनवाई टाल दी थी. इसी दौरान बेंच के सदस्य जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा था, "हम मध्यस्थता पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. अगर मामले से जुड़े पक्षों के साथ बैठने से समाधान की 1 प्रतिशत भी गुंजाइश है, तो ऐसा ज़रूर होना चाहिए."
बता दें कि अयोध्या विवाद में मध्यस्थता का मामला पहली बार सामने नहीं आया है. इससे पहले भी कई बार अलग अलग पक्षों या तो मध्यस्थता की कोशिश की या फिर पेशकश की. लेकिन हर यह पहल किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई.
कब-कब हुई अयोध्या विवाद में सुनवाई?
- साल 1986: शंकराचार्यों ने इस विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए.
- साल 1990-91: तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार और राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की मध्यस्थता में बात कराई.
- साल 1992: पीवी नरसिंह राव की सरकार में इस विवाद को फिर सुलह-समझौते से हल करने की कोशिश हुई. मंत्री सुबोधकांत सहाय की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई.
- साल 2002: अटल विहारी वाजपेयी की सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में अयोध्या प्रकोष्ठ बनाया गया. वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को तैनात करके कई बार सुलह का प्रयास कराया, यह प्रयास भी सफल नहीं हुए.
- साल 2003: जून महीने में कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की बात कही थी. शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने 1998 से 2004 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बात कही थी.
- साल 2010: सितंबर महीने में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा ने कहा कि सुलह के लिए प्रयास करने में कोई हर्ज नहीं है. इस पर भी बातचीत का सुझाव आगे नहीं बढ़ सका.
- साल 2010 से 2016: रिटायर्ड न्यायाधीश न्यायमूर्ति पलोक बसु इस विवाद को अदालत के बाहर मिल बैठकर सुलझाने की कई साल तक कोशिश की.
- साल 2016: मई महीने में ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने अंसारी के साथ मुलाकात की. बातचीत आगे बढ़ती, इसके पहले ही अंसारी का निधन हो गया.
- साल 2017: 21 मार्च को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की. चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं.
- साल 2017: 16 नवंबर को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की. हालांकि कि श्री श्री रविशंकर की पहल का कोई हल नहीं निकला था.