Manipur Attack: मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित संगठन पीएलए और एमएनपीएफ ने जरूर ली है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इन दोनों संगठनों को किसी बाहरी देश का समर्थन तो प्राप्त नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस घटना के बाद चीन के सरकारी मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स के संपादक की एक ट्वीटर पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें वे उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलगाववादी संगठनों को समर्थन करने की धमकी दे रहे हैं.
हालांकि, ये ट्वीट पिछले साल यानी अक्टूबर 2020 का है, लेकिन उत्तर-पूर्व राज्यों के अलगाववादी और उग्रवादी संगठनों को चीन के जरिए हथियारों और फंडिंग की रिपोर्ट्स सामने आती रहती हैं. साल 2015 में मणिपुर में ही हुए सेना के काफिले पर हुए बड़े हमले में एक विदेशी आर्म्स डीलर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी.
अलगाववादी संगठनों के समर्थन में ट्वीट
ग्लोबल टाइम्स के संपादक, हू शीजिन ने अपने ट्वीट में लिखा था, "भारत की सामाजिक शक्तियां ताइवान के साथ खिलवाड़ कर रही हैं, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि हम पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी ताकतों का समर्थन कर सकते हैं और सिक्किम की (स्वतंत्रता ) की बहाली भी कर सकते हैं. ये हमारा संभावित प्रतिशोध कार्ड हो सकता है. भारतीय राष्ट्रवादियों को आत्म-जागरूक होना चाहिए. उनका देश कमजोर है" हू शीजिन ने भारत में ताइवान को लेकर ये ट्वीट किया था, लेकिन उनका इशारा सीधे भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों में अलगाववादी संगठनों को समर्थन देने का था.
पीएलए में इस वक्त 250-300 कैडर हैं
बता दें कि मणिपुर के जिस प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (पीएलए) ने शनिवार के हमले की जिम्मेदारी ली है, वो भी कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित है. चीन भी एक कम्युनिस्ट देश है. सूत्रों की मानें तो 1978 में जब इस संगठन की स्थापना हुई, तो उसके कैडर की ट्रेनिंग चीन की पीएलए (सेना) में हुई थी. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के नाम पर ही इस संगठन ने अपना नाम 'पीएलए' रखा था. पीएलए में इस वक्त 250-300 कैडर हैं और म्यांमार बॉर्डर के करीब सक्रिए हैं. इस वक्त संगठन का मुखिया एम एम नगोबा है. ये मैती समूह का संगठन है. पीएलए के कैडर मूलत: म्यांमार बॉर्डर पर ड्रग्स और दूसरे सामानों की स्मगलिंग करते हैं और स्थानीय व्यापारियों और बिजनेसमैन से उगाही करते हैं. अगस्त के महीने में सुरक्षाबलों ने ग्रुप के आधा-दर्जन उग्रवादियों को एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.
वहीं, हमले की जिम्मेदारी लेते हुए पीएलए और एमएनपीएफ ने असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर, कर्नल विप्लव त्रिपाठी की पत्नी और आठ साल के बेटे पर हमले को लेकर खेद जरूर जताया था, लेकिन ये भी कहा था कि 'अशांत इलाकों' में परिवार को लेकर नहीं आना चाहिए. हकीकत ये भी है कि हमले के दौरान आतंकियों ने कर्नल विप्लव की गाड़ी पर बेहद नजदीक से फायरिंग की थी और उन्हें इस बात की जानकारी थी कि गाड़ी में कर्नल विप्लव का परिवार मौजूद था.