(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लगातार दूसरे दिन नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, लेकिन इस साल 6 रुपए 87 पैसे महंगा हुआ पेट्रोल
देश में पेट्रोल और डीजल के दाम 9 फरवरी को बढ़ना शुरू हुए थे. 8 फरवरी तक राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 86 रुपए 95 पैसे थी.अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई नरमी के बाद दो दिनों से दाम नहीं बढ़े. हालांकि पेट्रोल और डीजल का भाव इस समय रिकॉर्ड स्तर पर है.
नई दिल्ली: देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में 12 दिनों से जारी बढ़ोतरी पर कल यानि रविवार को ब्रेक लग गया. आज लगातार दूसरा दिन है जब देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफा नहीं हुआ. ऐसा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई नरमी के बाद हुआ है. हालांकि पेट्रोल और डीजल का भाव इस समय रिकॉर्ड स्तर पर है.
फिलहाल क्या हैं ताजा कीमतें?
पेट्रोल-
- दिल्ली- 90.58 रुपए प्रति लीटर
- कोलकाता- 91.78 रुपए प्रति लीटर
- मुंबई- 97 रुपए प्रति लीटर
- और चेन्नई- 92.59 रुपए प्रति लीटर
डीजल
- दिल्ली- 80.97 रुपए प्रति लीटर
- कोलकाता- 84.56 रुपए प्रति लीटर
- मुंबई- 88.06 रुपए प्रति लीटर
- और चेन्नई- 85.98 रुपए प्रति लीटर
इस साल यानि 53 दिनों के अंदर कितनी बढ़ी कीमतें?
बता दें कि एक जनवरी 2021 को राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 83 रुपए 71 पैसे थी. वहीं डीजल की कीमत 73 रुपए 87 पैसे थी. लेकिन आज 22 फरवरी 2021 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 90 रुपए 58 पैसे औोर डीजल की कीमत 80 रुपए 97 पैसे है. यानी इन 53 दिनों के अंदर दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 6 रुपए 87 पैसे और डीजल सात रुपए दस पैसे महंगा हुआ है.
12 दिनों के अंदर कितनी बढ़ी कीमतें?
देश में पेट्रोल और डीजल के दाम 9 फरवरी को बढ़ना शुरू हुए थे. 8 फरवरी तक राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 86 रुपए 95 पैसे थी. वहीं डीजल की कीमत 77 रुपए 13 पैसे थी. लेकिन आज 22 फरवरी 2021 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 90 रुपए 58 पैसे और डीजल की कीमत 80 रुपए 97 पैसे है. यानी 12 दिनों के अंदर ही दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल तीन रुपए 63 पैसे और डीजल तीन रुपए 84 पैसे महंगा हो गया.
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की दो बड़ी वजह
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की दो बड़ी वजह बताई हैं.उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार ने ईंधन का उत्पादन कम कर दिया है और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए विनिर्माण देश कम ईंधन का उत्पादन कर रहे हैं. इससे उपभोक्ता देश त्रस्त हैं. प्रधान ने आगे कहा कि हम लगातार ओपेक (OPEC) और ओपेक प्लस देशों से आग्रह करते रहे हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें उम्मीद है कि बदलाव जल्द होगा.
प्रधान ने कहा, "एक और कारण कोरोना वायरस है. विकास कार्यों पर खर्च करने से अधिक रोजगार पैदा होंगे. सरकार ने अपने निवेश में वृद्धि की है और इस बजट में 34% अधिक पूंजी व्यय किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार के खर्च में भी वृद्धि होगी. यही कारण है कि हमें इस कर की आवश्यकता है लेकिन संतुलन की आवश्यकता भी है. मेरा मानना है कि वित्त मंत्री कोई रास्ता निकाल सकते हैं."
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