नई दिल्ली: भारत में गवर्नर का ओहदा एक काफी बड़ा पद है. इसका अंदाज़ा इससे ही लगाया जा सकता है कि राज्यपाल को लाटसाहब कहने का भी चलन है. इसके दीगर ये बात भी है कि सूब का हेड राज्यपाल ही होता है. जब पद इतना बड़ा है तो सैलरी और सुविधाएं भी अच्छी खासी होंगी ही. देश के सभी राज्यों के गवर्नरों को 3 लाख 50 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जाता है. यह भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद किसी भी सरकारी पद पर आसीन व्यक्ति को दिया जाने वाला सबसे अधिक वेतन है. साढ़े तीन लाख के वेतन का मतलब हुआ कि गवर्नरों को देश के प्रधानमंत्री से भी अधिक वेतन मिलता है.


5 साल की अवधि में नहीं की जा सकती है कोई कटौती
इसके अलावा राज्यपालों को कई तरह के सरकारी भत्ते और सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं. 1982 के राजपाल(अनुमोदन भत्ते और विशेषाधिकार) अधिनियम के अनुसार 5 साल की कार्यकाल अवधि के दौरान उनकी सुविधाओं में कोई कटौती नहीं की जा सकती है.


गवर्नर को मिलने वाली सुविधाएं
भारत के गवर्नरों को मासिक वेतन के साथ-साथ तमाम विशेष सुविधाओं जैसे इलाज की सुविधा, निवास की सुविधा, यात्रा की सुविधा, फोन कॉल का बिल और बिजली का बिल जैसी कई विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. गवर्नर को रहने के लिए आधिकारिक निवास प्रदान कराया जाता है. गवर्नर को उसके परिवार समेत मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया की जाती है. गवर्नर देश के किसी भी राज्य की यात्रा सरकारी भत्ते से कर सकता है. इसके लिए एक निश्चित सरकारी राशि भी आवंटित की जाती है.


गवर्नर की पेंशन
भारत के संविधान के अनुसार देश के प्रत्येक राज्य के राज्यपाल को एक निश्चित पेंशन प्रदान की जाती है. प्रत्येक राज्य के गवर्नर को एक निश्चित पेंशन के साथ ही सचिवालय भत्ता और जीवन सुरक्षा के लिए मुफ्त इलाज प्रदान किया जाता है.


राज्यभवन में मिलता है निवास
राष्ट्रपति भवन की तर्ज पर प्रत्येक राज्य का अपना राजभवन होता है. जिस प्रकार देश के राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन में रहते हैं. ठीक उसी तरह प्रत्येक राज्य में गवर्नरों को राजभवन प्रदान किया जाता है. इसमें वे परिवार समेत निवास कर सकते हैं. जबकि राज्यपाल का कार्यकाल पूरा हो जाने पर उन्हें यह राजभवन  खाली करना होता है.


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