नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत सरकार तेजी से मुद्रा लोन बांट रही है, उसी तेजी से कर्ज न चुकाने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ रही है. कोरोना महामारी के दौर में मुद्रा लोन का एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है. 2017-18 में 2.46 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा लोन पर एनपीए 7277 करोड़ रुपये था, 2018-19 में 3.11 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा लोन पर एनपीए बढ़कर 11,483.42 करोड़ रुपये हो गया. 2019-20 में 3.29 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा लोन पर एनपीए 18,836 करोड़ हो गया. वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में एनपीए जून 2021 के अंत तक तीन गुना से अधिक बढ़ने का अनुमान है. यहां हम आपको सबसे ज्यादा एनपीए वाले कुछ राज्यों का आंकड़ा बता रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में सार्वजनिक और निजी छोटे-बड़े बैंकों का एनपीए जून 2021 में 22 फीसदी तक बढ़ गया, जो जून 2020 में 14.94 फीसदी था. महाराष्ट्र में कुल मुद्रा लोन 24,850 करोड़ रुपये का है और कुल एनपीए 5,521 करोड़ रुपये है. यहां एसबीआई का एनपीए 2021 जून अंत तक 59 फीसदी है. महाराष्ट्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मुद्रा लोन एनपीए जून 2021 में बढ़कर 32 फीसदी हो गया, जो जून 2020 में 26 फीसदी था.
झारखंड में कुल 11,357 करोड़ रुपये के मुद्रा लोन में से 1055 करोड़ रुपये यानी कि 9.29 फीसदी जून के अंत तक एनपीए में बदल गया. यहां केनरा बैंक का एनपीए सबसे ज्यादा 114.35 फीसदी है. इंडियन बैंक का एनपीए 36 फीसदी, पंजाब नेशनल बैंक का 29 फीसदी और एसबीआई का 20 फीसदी है. निजी क्षेत्र में, एचडीएफसी बैंक का मुद्रा लोन एनपीए 26 फीसदी है, इसके बाद आईडीएफसी फर्स्ट बैंक 25 फीसदी.
छत्तीसगढ़ में 31 मार्च 2021 तक 4518 करोड़ रुपये के मुद्रा लोन पर कुल एनपीए 442.56 करोड़ रुपये या 9.8 फीसदी था, जो 31 मार्च 2020 को 2551.24 करोड़ रुपये मुद्रा लोन पर 12.55 फीसदी था. ऐसा ही ट्रेंड गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी देखा जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि 18 महीनों में कोरोना महामारी के दौरान मुद्रा लोन एनपीए लगातार बढ़ता जा रहा है.
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