केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बिना कुछ ऐसे हटा महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन, तभी ले पाए फडणवीस सीएम पद की शपथ
महाराष्ट्र में बीजेपी-एनसीपी के सहयोग से सरकार का गठन हो गया है. यहां देवेंद्र फडणवीस ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली है और अजित पवार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने हैं. यहां जानिए- कैसे बिना मंत्रिमंडल की बैठक के राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन को हटाया गया.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शनिवार सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद बीजेपी-एनसीपी सरकार ने कार्यभार संभाला. इससे पहले राज्य में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों के एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी दी. इस नियम के तहत प्रधानमंत्री के पास विशेष अधिकार होते हैं.
राष्ट्रपति कोविंद के हस्ताक्षर वाले पत्र के अनुसार, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 356 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, मैं भारत का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मेरे द्वारा 12 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र राज्य के संबंध में की गई उद्घोषणा को निरस्त करता हूं, जो 23 नवंबर 2019 से प्रभावी है.’’ उद्घोषणा पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शनिवार सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राजपत्र अधिसूचना को जारी किया. इसके बाद, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म हो गया और सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ.
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आमतौर पर राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए, राष्ट्रपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश की आवश्यकता होती है. चूंकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक नहीं हुई इसलिए केंद्र सरकार ने भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों (12) को लागू किया. अधिकारी ने बताया कि सरकार के कार्य संचालन के नियम 12 के तहत प्रधानमंत्री के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश की जरूरत को नजरअंदाज करने की विशेष शक्ति है.
राष्ट्रपति शासन हटने के बाद बीजेपी के देवेंद्र फड़णवीस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार ने महाराष्ट्र के क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के 18 दिन बाद भी कोई राजनीतिक हल नहीं निकल सकने की स्थिति में 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.
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