अयोध्या में आज राम मंदिर निर्माण की शुरूआत भूमि पूजन से होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर की आधारशिला रखेंगे. इस कार्यक्रम में तमाम राजनेता और साधु संतों सहित 175 आमंत्रित लोग इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे. इनमें करीब 135 साधु-संत भी शामिल हैं. मंदिर के भूमि पूजन को लेकर विवाद भी हुआ है. एक पक्ष ने इस अवसर को शुभ नहीं बताया. ऐसे में सवाल उठता है कि शुभ मुहूर्त क्या है और यह कैसे निकाला जाता है.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने उठाए थे सवाल
भूमि पूजन के समय को लेकर सबसे पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने सवाल उठाए थे. शंकराचार्य ने इसके लिए इसके लिए विष्णु धर्म शास्त्र और नैवज्ञ बल्लभ ग्रंथ का हवाला देते हुए कहा कि 5 अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह, मंदिर आरंभ कार्य निषिद्ध है. साथ ही यह अभिजीत मुहूर्त है जो कि अशुभ है.
इसके बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी मंदिर के शिलान्यास की तय तिथि को अशुभ बताया था.
वहीं, भूमि पूजन मुहूर्त निकालने वाले काशी के विद्यान आचार्य पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने इसे सही बताया था. उनके अनुसार ज्योतिष परम्परा में स्थिर लग्न में मुहूर्त न मिलने पर संकटकाल में चर लग्न को लेने की परिस्थिति आने पर नवांश स्थिर लेते हैं. उन्होंने इस पर कहा कि गृह प्रवेश में वर्णित नियम भी मंदिर निर्माणारम्भ में लागू होता है. इसी लिए पांच अगस्त को तुला लग्न में वृषनवांश में मुहूर्त दिया गया है.
धार्मिक कार्यों पर नहीं रोक
सामन्यता परंपरा रही है कि शुभ कार्य चातुर्मास के समय नहीं किए जाते हैं. इस मामले में काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी कहना है कि हरिशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के बीच विवाह आदि मंगल कार्य करने का निषेध माना जाता लेकिन पूजन आदि धार्मिक कार्यों पर रोक नहीं है.
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