नई दिल्ली: बंगाल की खाड़ी पर बने दबाव के कारण आए चक्रवाती तूफान 'तितली' ने बेहद खतरनाक रूप अख्तियार कर लिया है. चक्रवात आज ओडिशा के गोपालपुर पहुंच चुका है. मौसम विभाग के मुताबिक तटीय इलाकों में 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं. तितली तूफान जल्द ही ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बाकी तटीय इलाकों में दस्तक देगा. मौसम विभाग (IMD) ने चक्रवात के खतरे को देखते हुए ओडिशा और आंध्र प्रदेश सरकारें ऐहतियाती कदम उठाए हैं. निचले इलाके से लोगों को निकाला जा रहा है. दोनों राज्यों में एनडीआरएफ की टीमों को तैनात कर दिया गया है.
अब हम आपको बताने जा रहे हैं तितली तूफान का A टू Z, कैसे इसका नाम तितली पड़ा. और आखिर में इस तूफान से कितने बड़े नुकसान का है खतरा ओडिशा और आंध्र प्रदेश पर मंडरा रहा है.
कहां से आया तितली तूफान का नाम
इस तितली तूफान के नाम पर चर्च करें तो इसके तार पाकिस्तान से जुड़े हैं. इस तूफान का नाम पाकिस्तान ने ही तितली दिया है. दरअसल किसी भी तूफान का नाम आसान नामों पर रखने के पीछे यह कारण है कि जब इससे जुड़ी कोई भी चेतावनी या जानकारी दी जाए तो वह लोगों तक आसानी से पहुंचे.
कैसे होता है इन तूफानों का नामकरण -
अटलांटिक क्षेत्र में तूफानों के नामकरण की चर्चा करें तो इसकी शुरुआत 1953 में हुई जबकि हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था 2004 में शुरू की. इन आठ देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं. हिंद महासागर में चक्रवाती तूफानों के नाम भारतीय मौसम विभाग रखता है.
कुछ चर्चित तूफानों की बात करें तो लहर, मेघ, सागर और वायु नाम भारत ने दिया है तो वहीं 'हेलेन' तूफान का नामकरण बांग्लादेश ने किया था. तितली तूफान का नाम पाकिस्तान ने रखा है. पाकिस्तान की ओर से इससे पहले समुद्री तूफानों के नाम वरदा, फानूस, नरगिस, लैला और निलोफर रखे गए थे.
क्या है खतरे की आशंका?
मौसम विभाग का कहना है कि इस तूफान से ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है. ओडिशा के गजपति, गंजाम, पुरी, यवतसिंहपुर बालासोर जैसे जिलों में तेज बारिश का अनुमान है. खुरदा,जाझपुर, नयागढ़, ढेंकनाल जैसे जिलों में भारी बारिश हो सकती है, गजपति, गंजाम, खुरदा,पुरी जिलों में नुकसान की संभावनाएं हैं. तितली तूफान की वजह से ओडिशा के तटीय शहरों में स्कूलों को 12 तारीख तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं.
आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भी खतरे की आशंका है, लेकिन ओडिशा के मुकाबले में कम नुकसान की आशंका है.