India-Pak Relation Year Ender 2022: भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर साल 2019 से बर्फ जमी है. इस साल भारतीय नेतृत्व के खिलाफ पाक के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) के अशोभनीय बयान के बाद संबंध और खराब हो गए हैं. इसके चलते परमाणु शक्ति संपन्न इन दोनों देशों के बीच रिश्तों को जल्द बहाल होने की उम्मीदों को झटका लगा है. अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर लिया था.
इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने नई दिल्ली में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या कम कर दी थी और व्यापार संबंध खत्म कर दिए थे. तब से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच केवल एक सकारात्मक घटनाक्रम देखने को मिला है और वह है फरवरी 2021 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम समझौते की बहाली. इस फैसले के बाद आने वाले दिनों में ऐसे और कदम उठाए जाने की उम्मीद जगी थी. हालांकि इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में गर्मजोशी का कोई संकेत नहीं मिला है.
बिलावल भुट्टो ने पीएम मोदी के बारे में की थी टिप्पणी
इस साल भारत ने पाकिस्तान पर नियंत्रण रेखा के निकट सीमा पार घुसपैठ और आतंकवादियों के अड्डों को फिर से सक्रिय करने का आरोप लगाया. ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई सुधार देखने को नहीं मिला. हालांकि पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत देश में आतंकवादी समूहों का समर्थन करता है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में कहा कि आतंकवाद का समसामयिक केंद्र हुत सक्रिय है. उन्होंने इससे निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया. हालांकि जयशंकर ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट था कि वह पाकिस्तान का जिक्र कर रहे थे. जयशंकर के इस बयान के बाद विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी निशाना साधा.
आम चुनाव के बाद संबंधों में सुधार की जताई उम्मीद
बिलावल की टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अच्छा होता कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री अपनी भावना देश में आतंकवादी संगठनों के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं पर निकालते, जिन्होंने आतंकवाद को देश की नीति का एक हिस्सा बना दिया है. भारत-पाक संबंधों की संभावनाओं के बारे में सरगोधा विश्वविद्यालय के डॉ. अशफाक अहमद ने कहा कि निकट भविष्य में तनावपूर्ण संबंधों में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.
डॉ. अशफाक ने कहा, "अगर कोई चमत्कार हो जाए तो अलग बात है, लेकिन मुझे आने वाले महीनों में कोई सुधार होता नहीं दिखता." उन्होंने पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई. हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसा तब हो सकता है जब मौजूदा सरकार को चुनाव में जीत हासिल हो. अहमद ने कहा, "यह सरकार व्यापार और आर्थिक संबंध रखना चाहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि विभिन्न वाणिज्यिक समूह आर्थिक कारणों से भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए दबाव बना रहे हैं."
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